Governors Conference: मोदी ने राज्यपालों से केंद्र-राज्य के बीच महत्वपूर्ण सेतु बनने का आग्रह किया
नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा)
Governors Conference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों से शुक्रवार को आग्रह किया कि वे केंद्र और राज्य के बीच प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं तथा लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ इस तरह से संवाद करें, जिससे वंचित लोगों को भी इसमें शामिल किया जा सके।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में आयोजित राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है, संविधान के दायरे के भीतर लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों के संदर्भ में।
उद्घाटन सत्र को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी संबोधित किया। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केंद्र और राज्य के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं तथा लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ इस तरह से संवाद करें कि वंचित लोगों को भी इसमें शामिल किया जा सके।''
विज्ञप्ति के अनुसार, शनिवार को समाप्त होने वाले इस सम्मेलन में उन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जो न केवल केंद्र-राज्य संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में भी सहायक होते हैं।
मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें।
उन्होंने राज्यपालों को इस संबंध में विचार करने की सलाह दी कि वे अपने-अपने राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में ऐसे मुद्दे शामिल हैं, जो राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी राज्यपाल जनता की सेवा और कल्याण में योगदान देते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नये कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि कानूनों के नाम: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, से सोच में बदलाव स्पष्ट है। राष्ट्रपति ने राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास के लिए उपाय सुझाएं।
मुर्मू ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सके, तो ‘युवा विकास' और ‘युवा-नेतृत्व वाले विकास' को और अधिक गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि ‘मेरा भारत' अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान का उल्लेख करते हुए मुर्मू ने कहा कि इसने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे से जुड़ने में सक्षम बनाया।
उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है और किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि राजभवन प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उदाहरण पेश कर सकते हैं। अपने संबोधन में धनखड़ ने राज्यपालों से सामाजिक कल्याण योजनाओं और पिछले दशक के दौरान हुए उल्लेखनीय विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया।
शाह ने दो दिवसीय सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं की रूपरेखा बताई और राज्यपालों से आग्रह किया कि वे लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘जीवंत गांवों' और ‘आकांक्षी जिलों' का दौरा करें। विज्ञप्ति में कहा गया है कि सम्मेलन में अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे।