एमडीयू में फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस ले सरकार : दीपेंद्र
चंडीगढ़, 10 जून (ट्रिन्यू)
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने नयी शिक्षा नीति के नाम पर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में पांच गुना तक बढ़ाई फीस को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि हरियाणा में मिली करारी हार से बौखलाई सरकार अब नौजवानों से हार का बदला निकाल रही है। भाजपा सरकार शिक्षा को व्यापार बनाकर गरीब परिवारों के होनहार बच्चों की उच्च शिक्षा का सपना चूर-चूर कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से छात्रों और बेरोजगार युवाओं में सरकार के प्रति रोष है। यही कारण था कि इस लोकसभा चुनाव में युवाओं ने सरकार के खिलाफ वोट डाला। इन नतीजों को हरियाणा की बीजेपी सरकार स्वीकार नहीं कर पाई और अब तक प्रतिशोध ले रही है। दीपेंद्र ने कहा कि फीस वृद्धि के नाम पर प्रदेश के विद्यार्थियों से खुली लूट की जा रही है। भाजपा सरकार आम परिवारों के बच्चों के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद करना चाहती है।
प्रदेश के 182 सरकारी कॉलेजों में प्राध्यापकों के 7986 मंजूर पद हैं। वर्तमान में 3368 प्राध्यापक ही हैं। यानी मांग के अनुरूप करीब 4618 पद खाली हैं। सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 10 वर्षों में प्रदेश के सरकारी शिक्षा तंत्र को तबाह करने का काम किया है। उच्च शिक्षा को युवाओं के लिए सस्ता और सुलभ बनाने की बजाय उसे महंगा कर प्रदेश के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। दीपेंद्र ने कहा कि भाजपा ने पहले पांच हजार सरकारी स्कूलों को बंद किया। फिर एमबीबीएस फीस दो लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया। अब यूनिवर्सिटी में कई गुणा फीस बढ़ा दी ताकि गरीब का बच्चा पढ़-लिखकर काबिल न बन सके। ऐसा करके सरकार ने अपने असली रूप को दिखा दिया है। सांसद ने कहा कि बेरोजगारी में नंबर-वन बन चुका हरियाणा अब सबसे महंगी शिक्षा में भी नंबर-वन है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की युवा व शिक्षा विरोधी नीतियों ने हुड्डा सरकार के समय सस्ती और सुलभ शिक्षा वाले हरियाणा को देश में महंगी शिक्षा के मामले में पहले पायदान पर पहुंचा दिया है।
गौरतलब है कि एमडीयू ने स्नातक कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर प्रॉस्पेक्टस जारी किया है। इसमें नये सत्र से एनईपी (नयी शिक्षा नीति) के तहत शुरू किए नये कोर्सों की फीस भी पांच गुना बढ़ा दी है। स्नातक कोर्स भी अब तीन के बजाय चार साल में पूरा होगा।