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सरकार प्रभावित इलाकों को बाढ़ग्रस्त घोषित करे : चित्रा

06:30 AM Jul 18, 2023 IST
सरकार प्रभावित इलाकों को बाढ़ग्रस्त घोषित करे   चित्रा
आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा सोमवार को अम्बाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए। -निस
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अम्बाला, 17 जुलाई (निस)
आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने आज कहा कि पिछले दिनों की अभूतपूर्व बाढ़ और उससे चौतरफा नुकसान को देखते हुए प्रदेश सरकार हरियाणा के प्रभावित इलाकों को बाढ़ग्रस्त घोषित करे और हर मुमकिन राहत प्रधानमंत्री रिलीफ फंड, मुख्यमंत्री बाढ़ राहत कोष, सेंटर के रिलीफ फंड को जोड़ते हुए इलाके को मुहैया करवाए। साथ ही में प्रदेश सरकार सभी आर्थिक व प्रशासनिक संस्थाओं को आपातकालीन प्रावधान के तहत राहत और पुनर्वास के लिए मदद करने के निर्देश दे। चित्रा सरवारा आज यहां पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष के दरवाजे हरियाणा के बाढ़ पीड़ितों से लिए खोले जाएं और चौतरफा हुए नुकसान का युद्धस्तर पर आकलन कर लोगों को मुआवजा और मदद मिले।
प्रदेश की भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए चित्रा ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से हाल ही में मुलाकात की लेकिन वह वहां से न कोई राहत पैकेज लाए न कोई खास घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का भी मात्र हवाई दौरा कर साफ़ कर दिया कि भाजपा सरकार हवा में है, जमीन पर नहीं। गृहमंत्री और स्थानीय विधायक अनिल विज के बयान कि अम्बाला में पिछली बाढ़ 48 साल पहले आयी थी, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चित्रा ने कहा कि दुख की बात है कि इन 48 सालों में निकासी पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। चित्रा सरवारा ने कहा कि 48 सालों में से 30 साल अम्बाला की नुमांइदगी अनिल विज ने की है लेकिन उनका विकास माॅडल ‘डेवलपमेंट’(विकास) पर कम और ‘डेकोरेशन’ (सजावट) पर ज्यादा केंद्रित रहा है। चित्रा ने कहा की हज़ारों करोड़ रुपये के गेट, पार्क, चौक, फव्वारे और स्मारक बनाय गए हैं लेकिन अम्बाला की तीन मूलभूत समस्याएं- ड्रेनेज (निकासी), सीवरेज और गारबेज (कूड़ा) वहीं के वही खड़े हैं। आप नेता ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के आगे किसी का बस नहीं लेकिन अम्बाला को प्रशासनिक-आपदा और प्लानिंग-आपदा ने भी बराबर डुबोया। पार्क और स्मारक बनाने के लिए अम्बाला की सभी पुरानी डिग्गियां बंद कर दी गईं जिससे इलाके की स्वाभाविक निकासी खत्म हो गई।

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