Government Employees Strike : सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल पर चंडीगढ़ प्रशासन सख्त, वेतन कटौती और सेवा समाप्ति की चेतावनी
चंडीगढ़, 20 दिसंबर (ट्रिन्यू)
चंडीगढ़ प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल, बंद, सामूहिक अनुपस्थिति, और कार्य धीमा करने जैसी गतिविधियों पर सख्त रुख अपनाते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। प्रशासन ने इसे गंभीर कदाचार करार देते हुए ऐसे मामलों में वेतन कटौती से लेकर सेवा समाप्ति तक का प्रावधान किया है।
हड़ताल को गैर-कानूनी करार
चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के नियम 7(II) का हवाला देते हुए कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को हड़ताल में भाग लेने या दूसरों को उकसाने की अनुमति नहीं है। ऐसा करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। इसके अलावा, वित्तीय नियम 17(1) के तहत बिना अनुमति के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को उस अवधि का वेतन और भत्ते नहीं मिलेंगे। यह अनुपस्थिति सेवा में व्यवधान मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए कहा है कि कर्मचारियों को हड़ताल का अधिकार नहीं है।
टी.के. रंगराजन बनाम तमिलनाडु सरकार (2003) मामले में हड़ताल को गैर-कानूनी करार दिया गया।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन बनाम नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल (1962) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रेड यूनियनों को हड़ताल का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
बैंक ऑफ इंडिया बनाम टीएस केलावाला (1990) में कहा गया कि हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों को वेतन कटौती और सेवा समाप्ति जैसी सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
क्या मानी जाएगी हड़ताल?
प्रशासन ने हड़ताल की स्पष्ट परिभाषा देते हुए इसे निम्नलिखित गतिविधियों में शामिल किया है:
1. बिना अनुमति सामूहिक अनुपस्थिति।
2. आवश्यक कार्यों के लिए ओवरटाइम से इनकार।
3. "गो-स्लो", "सिट-डाउन", "पेन-डाउन", "स्टे-इन" और "टोकन" जैसे प्रदर्शन।
4. बंद और अन्य सामूहिक आंदोलनों में भाग लेना।
सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश
सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें और किसी भी अनुशासनहीनता की स्थिति में कार्रवाई की सिफारिश करें।
प्रभावी कदम उठाने की तैयारी
प्रशासन ने इस आदेश के जरिए सरकारी कार्यालयों में अनुशासन बनाए रखने और जनसेवाओं पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को रोकने का प्रयास किया है। इससे सुनिश्चित होगा कि कर्मचारी नियमों का पालन करें और सरकारी कामकाज बाधित न हो।