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Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पर 2000 देसी घी के दीपों जगमग हुआ मात पिता गोधाम महातीर्थ

02:37 PM Nov 10, 2024 IST

चंडीगढ़, 10 नवंबर (ट्रिन्यू)

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Gopashtami 2024: मोहाली के बनूड़-अंबाला रोड पर स्थित मात पिता गोधाम महातीर्थ में गोपाष्टमी महोत्सव धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भक्तों ने 2000 से अधिक देसी घी के दीपक जलाकर अपनी आस्था प्रकट की। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और दिल्ली से सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस महोत्सव में भाग लिया और गोमाता की पूजा में सहभागी बने।

महोत्सव में नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि संस्कृति उपासक डॉ. गोविंद जी काले और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की इंडिपेंडेंट डायरेक्टर डॉ. दिव्या गुप्ता विशिष्ट अतिथि रहे। पूर्व भारतीय क्रिकेटर देवाशीष निलोसे ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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मात पिता गोधाम महातीर्थ के मुख्य प्रबंधक गोचर दास ज्ञान ने बताया कि दिनभर चलने वाले इस आयोजन में सुबह से रात तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह नौ से दस बजे तक यजमान पूजन हुआ, जबकि नंदिनी गौ महायज्ञ और पूर्णाहुति का आयोजन सुबह दस बजे से दोपहर बारह बजे तक चला। दोपहर बाद तीन बजे से शाम सात बजे तक गोमाताओं का गुणगान और संकीर्तन हुआ, और शाम सात बजे भव्य आरती के साथ गोमाताओं का पूजन संपन्न हुआ। इसके बाद सभी भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।

इस विशेष अवसर पर महातीर्थ के प्रधान अमरजीत बंसल, सुरनेश सिंगला, कश्मीरी लाल गुप्ता, मामन राम गर्ग, लाजपत राय गर्ग, सुभाष अग्रवाल, दीपक मित्तल, सुरेश बंसल, सुभाष सिंगला, पंकज जायसवाल, कपिल और बबू समेत कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मात पिता गोधाम महातीर्थ के संस्थापक गोचर दास ज्ञान ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह तीर्थ स्थल आज एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां गौमाता से प्रेम और माता-पिता का सम्मान करने का संदेश दिया जाता है। यह स्थान वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक (लंदन) में दुनिया के एकमात्र ऐसे मंदिर के रूप में दर्ज है, जहां किसी भी देवता की मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां माता-पिता को ज्योति स्वरूप में पूजा जाता है।

गोपाष्टमी महोत्सव के इस पावन अवसर पर पूरा गोधाम क्षेत्र दीपों से जगमगा उठा और दिवाली जैसा दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। इस आयोजन ने श्रद्धालुओं के मन में अपनी संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों के प्रति नई ऊर्जा का संचार किया।

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