मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सकारात्मक संबल से स्वर्णिम सफलता

12:47 PM Aug 30, 2021 IST

हम सभी इस समय नयी उम्मीदों के सातवें आसमान पर हैं। ओलंपिक में पहली बार भारत ने विभिन्न खेलों में पदक प्राप्त किए हैं। यह ओलपिंक भारत के लिए कई मायनो में अभी तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक माना जा रहा है। भारत की झोली में इस बार सात पदक आए हैं। इनमें नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक ने सोने-सी चमक पूरे देश में फैला दी है। कई वर्षों की तपस्या और निरंतर अभ्यास का परिणाम होता है ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना।

Advertisement

आखिर हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कब, कैसे और कहां करते हैं? क्या कभी हमने इस बारे में जानने की कोशिश की है। जीवन में हम सभी का यही प्रयत्न रहता है कि हर कार्य में अपना सर्वश्रेष्ठ दें। हम कई कार्यों में अपना सर्वश्रेष्ठ देते भी हैं। इसके पीछे पिग्मेलियन प्रभाव छिपा हुआ रहता है। दरअसल लोगों में उसी स्तर तक उठने की प्रवृत्ति होती है, जितनी दूसरे लोग उनसे अपेक्षा करते हैं। लोग प्रदर्शन भी उसी स्तर पर करते हैं, जिस स्तर पर दूसरे उनसे करने की उम्मीद करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को यह ज्ञात हो जाता है कि उससे बेहतरीन चीजों की अपेक्षा की जा रही है तो ऐसे लोग अक्सर अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

पिग्मेलियन प्रभाव एक प्रवृत्ति है, जिसका नाम यूनानी मिथक के नायक के नाम पर रखा गया है। ज्ञात हो कि पिग्मेलियन एक कुशल मूर्तिकार था। उसने एक आदर्श महिला की ऐसी मूर्ति बनाई जो बिल्कुल जीवंत प्रतीत होती थी। उस मूर्ति को देखते-देखते वह उसका दीवाना हो गया। उसे सचमुच ऐसा प्रतीत होने लगा कि वह मूर्ति सजीव हो उठी है और उससे बात कर रही है। लोग उसे पागल कहकर संबोधित करने लगे। एक दिन पिग्मेलियन ने प्रेम की देवी एफ्रोडाइट से सच्चे हृदय से प्रार्थना की कि वे उस मूर्ति में प्राण भर दें क्यांेकि उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह मूर्ति सजीव होकर उससे बातें कर रही है, मुस्करा रही है। इसलिए अब वह यह कल्पना भी नहीं कर पा रहा कि वह केवल एक मूर्ति है।

Advertisement

प्रेम की देवी एफ्रोडाइट ने उसके अवचेतन मन की बात सुनी और मूर्ति को सजीव कर दिया। पिग्मेलियन की कृति को सजीव देखकर लोग आश्चर्यचकित हो उठे और उन्होंने दांतों तले अंगुली दबा ली। बस इसके बाद से लोगांे ने इस बात का प्रचार करना आरंभ कर दिया कि अगर मन में पिग्मेलियन जैसी सच्ची लगन हो तो मूर्ति भी सजीव हो उठती है। इस तरह पिग्मेलियन प्रभाव धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। पिग्मेलियन प्रभाव यह स्पष्ट करता है कि हमारे सारे संबंध असली मायने में खुद पूरी होने वाली भविष्यवाणियां क्यों होते हैं। इसके लिए शिक्षक एवं विद्यार्थियों पर अध्ययन भी किया गया। शिक्षकों को जिन विद्यार्थियों पर यह यकीन था कि वे परीक्षाओं एवं प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ रहेंगे, वे वास्तव में सर्वश्रेष्ठ रहे और जीते। वहीं शिक्षक जिन विद्यार्थियों को औसत मानते थे, उनका प्रदर्शन भी औसत ही रहा।

डेल कारनेगी अपनी पुस्तक ‘हाउ टू विन फ्रैंड्स एंड इनफ्लुएंस पीपल’ में कहते हैं कि ‘दूसरों को बेहतरीन छवि दें, जिसके अनुरूप वे जी सकें।’ नीरज चोपड़ा अपने इस स्वर्ण पदक को ‘पिग्मेलियन प्रभाव’ का चमत्कार ही मानते हैं। इस बार नीरज चोपड़ा के कोच के साथ ही उसके इर्द गिर्द के सभी लोगों को पूरा विश्वास था कि नीरज चोपड़ा ओलंपिक में पदक प्राप्त करके आएंगे। वह लगातार हर ओर से यही बातें सुन रहे थे कि जेवलिन थ्रो में नीरज का मुकाबला नहीं है। वह सबको धूल चटा देगा। यह बातें सुन-सुन कर नीरज का आत्मविश्वास भी बढ़ गया। नीरज कहते हैं कि ‘जब मैं लोगों की सकारात्मक बातें अपने लिए सुनता था तो मेरा मन करता था कि मैं जेवलिन के साथ रनवे पर पहुंच दौड़ना शुरू करके थ्रो कर दूं। मुझे लगने लगा था कि मेरे अंदर बहुत ऊर्जा भरी हुई है। यह अहसास मुझे 4 अगस्त से और अधिक लग रहा था जब मैंने क्वालीफाइंग में 85.65 मीटर भाला फेंका था। उसी दिन से खुद के अंदर से आवाज आ रही थी कि अब मेरी जिंदगी का बहुत बड़ा पल जल्द आने वाला है।’

इस तरह पिग्मेलियन प्रभाव से नीरज चोपड़ा की जिंदगी के साथ ही संपूर्ण भारतीयों की जिंदगी में वह अनमेाल पल आया जब नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे थे और भारत का राष्ट्रगान ओलंपिक में गूंज रहा था। असाधारण अवसर सामान्य मौकों को जकड़ने पर ही बनते हैं। पिग्मेलियन प्रभाव न केवल सामान्य अवसरों को असाधारण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि अवसरों को पैदा करने का प्रमुख कारक बनता है।

इसलिए आप भी अपने इर्द गिर्द हर व्यक्ति की ऊर्जा को बाहर निकालने में सकारात्मक वाक्यों का प्रयोग करें। ऐसा करने से ‘पिग्मेलियन प्रभाव’ उत्पन्न होगा। कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। जब हमारी ऊर्जा, अभ्यास को लोगों का सकारात्मक साथ मिल जाता है तो पिग्मेलियन प्रभाव उत्पन्न होता है। यही पिग्मेलियन प्रभाव कामयाबी को ऊंची उड़ान देता है।

Advertisement
Tags :
सकारात्मकसफलतास्वर्णिम