पवन ऊर्जा क्षेत्र में सुनहरे अवसर
कीर्तिशेखर
इन दिनों ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते पूरी दुनिया में जीवाश्म ऊर्जा के बहुत तेजी से विकल्प तैयार किये जा रहे हैं। इन्हीं में से एक विकल्प पवन ऊर्जा भी है। भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ था और पिछले कुछ सालों में इसमें बहुत तेजी आयी है। 31 दिसंबर 2023 तक भारत में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 44.736 गीगावाट थी। आने वाले सालों में इसे और भी तेज विकास करना है, क्योंकि भारत में दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले पवन ऊर्जा के उत्पादन में 40 फीसदी कम लागत आती है। माना जा रहा है कि भारत में करीब 700 गीगावाट पवन ऊर्जा की क्षमता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र सुरक्षित कैरियर के लिए महत्वपूर्ण है।
कम लागत से प्रदूषण रहित ऊर्जा
पवन ऊर्जा में रोजगार का मजबूत भविष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2035 तक पवन ऊर्जा जनरेट करने की लागत आज के मुकाबले 17 से 35 फीसदी तक कम हो जायेगी और पवन ऊर्जा का उत्पादन आज से कई सौ फीसदी बढ़ जायेगा। इसलिए इस ऊर्जा का भविष्य अक्षय है, क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधन कभी कम नहीं होगा। पवन ऊर्जा प्रदूषण रहित है, जिस कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने में इसके जरिये मदद मिलती है।
निवेश और रोजगार की बड़ी संभावनाएं
पवन ऊर्जा उन क्षेत्रों में से है, जहां एक बार निवेश करने के बाद फिर निवेश की जरूरत नहीं पड़ती, सिर्फ मेंटेनेंस तक खर्च रह जाता है। भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाले सालों में जबरदस्त निवेश का अनुमान है। माना जा रहा है, 2027-28 तक इस क्षेत्र से 10 लाख से ज्यादा नौकरियां निकलेंगी। इसलिए पवन ऊर्जा के क्षेत्र कैरियर बनाना सुरक्षित विकल्प है।
पवन टर्बाइन तकनीशियन
पवन ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे उपयुक्त पद है, पवन टर्बाइन तकनीशियन का। इसके लिए देश में बहुत जगह शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) या प्रशिक्षु प्रशिक्षण योजना (एटीएस) के तहत कोर्स सम्पन्न होते हैं। पवन संयंत्र तकनीशियन आईटीआई का एक प्रमुख विषय है और पूरे देश में फैले करीब 4000 आईटीआई में यह विषय पढ़ाया जाता है, जिससे डिप्लोमा लेकर इस क्षेत्र में नौकरी पायी जाती है।लेकिन अगर आपके पास पहले से ही किसी दूसरे इंडस्ट्रियल क्षेत्र की तकनीकी पृष्ठभूमि है जैसे मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन , रिन्यूएबल एनर्जी आदि तो आप दो हफ्तों में टर्बाइन तकनीशियन का सर्टिफिकेट कोर्स करके भी इस क्षेत्र में नौकरी पा सकते हैं।
टेक्निकल स्किल्स भी जरूरी
पवन ऊर्जा इंजीनियर बनने के लिए आपको टेक्निकल स्किल्स की भी जरूरत होती है। इंजीनियर डिजाइन बनाने, संचालन और टेस्टिंग के लिए कंप्यूटर और अलग-अलग तरह के प्रोग्राम का इस्तेमाल करते हैं। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए ये लोग एमएस ऑफिस और बजट सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल करते हैं। पवन ऊर्जा के क्षेत्र की कंपनियां दो साल के डिप्लोमा वाले आईटीआई प्रशिक्षुओं को तरजीह देती हैं, वहीं पांच साल के अनुभव वाले पवन ऊर्जा इंजीनियरों को प्राथमिकता देती हैं।
जॉब की प्रकृति
पवन ऊर्जा क्षेत्र में कई तरह के काम और नौकरियां होती हैं जैसे पवन ऊर्जा के विश्लेषकों के लिए जो यह तय कर सकें कि संबंधित जगह पर पवन चक्की लगाना व्यवहारिक है या नहीं। वहीं ऐसे लोगों को भी इस क्षेत्र में नौकरी मिलती है जो देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में घूमकर पता लगाते हैं कि कहां हवा का बहाव ज्यादा और उत्पादक है। साथ ही पवन ऊर्जा फॉर्म डिजाइन और लेआउट बनाने वाले विशेषज्ञों को भी तरजीह मिलती है। सहायकों को भी नौकरी मिलती है।
बात वेतन की
किसी पवन टर्बाइन तकनीशियन को शुरुआती वेतन 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलता है। इसके बाद सेलरी अनुभव, विशेषज्ञता और मेहनत के अनुरूप मिलती है। पवन टर्बाइन इंजीनियर को पांच साल के अनुभव के बाद 70 हजार से 1 लाख रुपये तक मासिक वेतन पाना मुश्किल नहीं।
संबंधित कॉलेज, संस्थान
मणिपाल प्रौद्योगिकी संस्थान, मणिपाल, इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे, एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई, दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलूरु, पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर, पवन ऊर्जा क्षेत्र के तकनीशियनों और इंजीनियरों को जितनी आसानी से भारत में नौकरी उपलब्ध हैं, उससे कहीं ज्यादा विदेशों में भी उपलब्ध हैं। -इ.रि.सें.