भारत का गोल्डन मंडे
टोक्यो, 30 अगस्त (एजेंसी)
टोक्यो पैरालम्पिक में भारत के लिये सोमवार का दिन यादगार रहा जब रिकॉर्ड भी टूटे और इतिहास भी बार बार रचा गया। अनुभवी और युवा खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता के छठे दिन शानदार प्रदर्शन करते हुए कई पदक जीते और पैरालम्पिक के इतिहास में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिखाया। पहली बार पैरालम्पिक खेल रहे भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल (23 वर्ष) और निशानेबाज अवनि लखेड़ा (19 वर्ष) ने स्वर्ण पदक जीता जबकि दो बार के स्वर्ण पदक विजेता अनुभवी देवेंद्र झाझडि़या (भालाफेंक) और योगेश कथूनिया (चक्काफेंक) ने रजत तथा सुंदर सिंह गुर्जर (भालाफेंक) ने कांस्य पदक जीता।
भारत ने एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य समेत पांच पदक जीते । टेबल टेनिस में भाविनाबेन पटेल ने रविवार को रजत पदक जीता था। भारत के लिये निराशाजनक खबर चक्काफेंक खिलाड़ी विनोद कुमार (एफ52) का कांस्य पदक वापस लिया जाना रही जो उनके शारीरिक विकास से जुड़े क्लासीफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ करार दिये गए। लखेड़ा ने महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा। जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयी हैं। उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड की बराबरी की। यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकार्ड है। इसके बाद भालाफेंक खिलाड़ियों ने भारतीय पैरालम्पिक खेलों का स्वर्णिम अध्याय लिखा। अंतिल ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड पांच बार दुरुस्त करके स्वर्ण पदक जीता। गुर्जर ने इसी वर्ग में कांस्य पदक जीता । कथूनिया ने एफ56 वर्ग में रजत पदक जीता। हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकार्ड था। उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही।
नीरज चोपड़ा के खिलाफ खेले थे अंतिल
भारतीय सेना में जेडब्ल्यूओ अधिकारी के बेटे अंतिल 5 मार्च को पटियाला में इंडियन ग्रां प्री सीरीज 3 में ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा के खिलाफ खेले थे जिसमें वह 66.43 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ सातवें स्थान पर रहे थे जबकि चोपड़ा ने 88.07 मीटर के थ्रो से अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा था। अंतिल ने दुबई में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में एफ64 भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता था। वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।
झाझडि़या ने तोड़ा अपना पिछला रिकार्ड
एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझडि़या ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ा। श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने का सपना पूरा नहीं होने दिया। श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझडि़या का पिछला विश्व रिकार्ड भी तोड़ा। झाझडि़या के नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकार्ड दर्ज था।
कथूनिया को चक्का फेंक में रजत
इससे पहले कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीता। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता। आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले कथूनिया शुरू में पहले स्थान पर चल रहे थे लेकिन ब्राजील के मौजूदा चैंपियन बतिस्ता डोस सांतोस 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता।