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Gold-Silver Price : सोने में 300 रुपये की तेजी, तीसरे दिन भी चमकी चांदी

07:14 PM Dec 05, 2024 IST
gold silver price   सोने में 300 रुपये की तेजी  तीसरे दिन भी चमकी चांदी
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नई दिल्ली, 5 दिसंबर (भाषा)

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Gold-Silver Price : आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के कारण आज राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत फिर से 79,000 रुपये के स्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह कहा।

तीन दिन की गिरावट के बाद 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत बुधवार को 300 रुपये बढ़कर 79,150 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। बुधवार को यह 78,850 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रही थी। कारोबारियों ने कहा कि स्थानीय बाजारों में आभूषण और खुदरा विक्रेताओं की ताजा मांग के कारण सोने में तेजी आई।

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चांदी लगातार तीसरे दिन भी चमक में रही और वीरवार को 1,300 रुपये बढ़कर 93,800 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। बुधवार को यह 92,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 300 रुपये बढ़कर 78,750 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। पिछले कारोबारी सत्र में यह 78,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) विभाग के उपाध्यक्ष, जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘सोने में स्थिरता से लेकर सकारात्मक रुझान के साथ कारोबार हुआ। एमसीएक्स में सोने के 76,700-77,400 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर, कॉमेक्स (जिंस बाजार) सोना वायदा 7.20 डॉलर यानी 0.27 प्रतिशत गिरकर 2,669 डॉलर प्रति औंस रहा।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘लगातार वैश्विक जोखिम, साथ ही फ्रांस और दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अनिश्चितता, सुरक्षित-निवेश के विकल्प के रूप में बहुमूल्य धातु की कीमत को बढ़ाने में योगदान दे रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘व्यापारी वीरवार को अमेरिका में जारी होने वाले नए बेरोजगारी दावों और व्यापार संतुलन सहित अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतजार करेंगे।''

जिंस बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, बुधवार को फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है व सितंबर में नीतिगत दरों में कटौती, श्रम बाजार को समर्थन देने का संदेश था। इसके कारण सर्राफा में थोड़ी नरमी रही। पॉवेल ने कहा कि इन सबके बावजूद, मुद्रास्फीति नियंत्रण में आने की घोषणा करना जल्दबाजी होगी और अमेरिकी केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति निर्धारित करने में सतर्क हो सकता है।

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