गोकर्ण आस्था, पर्यटन और एडवेंचर की त्रिवेणी
अलका 'सोनी'
अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दक्षिण भारत घूमने का मन बना रहे हैं तो कर्नाटक के गोकर्ण की यात्रा कर सकते हैं। यात्रा में आप समुद्री बीच के साथ-साथ, धार्मिक स्थल और एडवेंचर का भी आनंद ले सकते हैं। गंगावली और अघनाशिनी नदियों के संगम पर बसे इस गांव का आकार भी गाय के कान जैसा ही है। इस वजह से भी इसे गोकर्ण कहा जाता है।
कारवार के तट पर मौजूद, गोकर्ण कर्नाटक का एक छोटा-सा शहर है। अपने समुद्र तटों, प्राचीन मंदिरों और लुभावने दृश्यों की वजह से यह पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। लोककथाओं के अनुसार गोकर्ण भगवान शिव और विष्णु का शहर है। रावण को आत्मालिंगम लेने और लंका को शक्तिशाली बनाने से रोकने के लिए, उसे गोकर्ण में रोक दिया गया था।
महाबलेश्वर मंदिर
महाबलेश्वर मंदिर गोकर्ण का मुख्य मंदिर है। इस मंदिर में 6 फीट लंबा शिव लिंग है। जिसे आत्मालिंग के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में सफेद ग्रेनाइट का उपयोग किया गया है, जिसमें द्रविड़ वास्तुकला का आप उत्कृष्ट उदाहरण देख सकते हैं। इसमें 1500 साल पुरानी भगवान शिव की मूर्ति भी स्थापित है। मंदिर का उल्लेख महाभारत और रामायण के हिंदू पौराणिक कथाओं में किया गया है और इसे काशी जितना ही महत्वपूर्ण कहा जाता है, इसलिए इसे दक्षिण काशी की उपाधि मिली हुई है। मंदिर परंपरा के अनुसार मंदिर प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं को कारवार बीच में डुबकी लगानी पड़ती है।
महागणपति मंदिर
भगवान गणेश को समर्पित, यह मंदिर महाबलेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणेश की एक काले पत्थर की मूर्ति है, और भक्त महाबलेश्वर मंदिर से पहले इस मंदिर में जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण लगभग 150 साल पहले किया गया था। यहां गणेश चतुर्थी, आश्विन षष्ठी, श्रावण संकष्टी जैसे कुछ अवसरों पर ज्यादा भीड़ देखी जाती है।
गोकर्ण बीच
यह बीच शहर के कुछ प्रमुख समुद्र तटों में गिना जाता है। इस बीच के नाम पर ही गोकर्ण शहर का नाम जाना जाता है। ये बीच काफी लंबा है, जहां पर्यटकों और स्थानीय लोगो की काफी भीड़ देखी जा सकती है। गोकर्ण समुद्र तट मुख्य रूप से तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग किया जाता है। भक्त यहां डुबकी लगाने के लिए आते हैं और फिर महाबलेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए निकल पड़ते हैं।
कुडले बीच
अगर आप अपनी फैमली के साथ शांति और सुकून भरा टाइम बिताना चाहते हैं, तो आपको कुडले बीच पर जरूर आना चाहिए। बीच लवर्स इसे स्वर्ग की तरह मानते हैं। ये बीच मून और ओम बीच से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जो कि अपने शांत वातावरण और सूर्यास्त के अद्भुत नजारों के लिए बेहद मशहूर है। यहां सुबह शाम लोग सैर करने और योग अभ्यास करने के लिए भी आते हैं।
मिरजन किला गोकर्ण
गोकर्ण के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक, मिरजन किला गोकर्ण से केवल 11 किलोमीटर दूर स्थित है। किला 16वीं शताब्दी में नवायथ सल्तनत द्वारा बनाया गया था और बाद में विजयनगर साम्राज्य द्वारा इस पर कब्जा कर लिया गया था। अगर आप खंडहरों और प्रकृति के बीच अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो यह घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
याना गुफाएं
सुंदर सह्याद्री पहाड़ियों के बीच स्थित, याना गुफा उनके लिए बेस्ट जगह है, जो गोकर्ण में एडवेंचर की तलाश में हैं। याना एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। कहा जाता है कि याना गुफाओं की भैरवेश्वर शिखर और मोहिनी चोटी भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करती है। इसके अलावा याना गुफाएं ट्रैकिंग और पक्षियों को देखने के लिए गोकर्ण की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
कैसे पहुंचंे गोकर्ण
सड़क : बेंगलुरु, मैंगलोर, हुबली और कर्नाटक के अन्य शहरों से यात्री बस के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। गोकर्ण, एनएच17 से सिर्फ 10 किमी दूर है जो मुंबई को कोच्चि से जोड़ता है। गोकर्ण के लिए मडगांव और गोवा के अन्य शहरों से बस भी ली जा सकती है।
ट्रेन : निकटतम रेलवे स्टेशन अंकोला में है । जो गोकर्ण से 20 किमी दूर है। मैंगलोर, मुंबई, तिरुवनंतपुरम, वेरावल सहित कई शहरों से ट्रेनें स्टेशन पर रुकती हैं।
हवाई जहाज : गोवा में डाबोलिम हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो लगभग 140 किमी दूर है। यह हवाई अड्डा भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय शहरों से उड़ानों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।