रोहतक, 15 दिसंबर (हप्र):Gokarna Dham गोकर्ण धाम स्थित डेरा बाबा लक्ष्मण पुरी के महंत और महामंडलेश्वर स्वामी कपिल पुरी महाराज को श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के उपाचार्य की पदवी से विभूषित किया गया है। यह घोषणा प्रयाग कुंभ में अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने संत समाज और अखाड़े के पदाधिकारियों की उपस्थिति में की। भगवान श्री दत्तात्रेय जयंती के पावन अवसर पर कपिल पुरी महाराज को इस महत्वपूर्ण पद पर आसीन किया गया।प्रयाग कुंभ में हुआ ऐतिहासिक सम्मानGokarna Dham अखाड़ा परिषद के महामंत्री स्वामी हरिगिरी महाराज और सभापति स्वामी प्रेमगिरी महाराज सहित सैकड़ों संतों और भक्तों ने स्वामी कपिल पुरी महाराज पर पुष्पवर्षा कर उन्हें बधाई दी। इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह देखा गया।रोहतक में भव्य स्वागतरविवार को जब स्वामी कपिल पुरी महाराज रोहतक पहुंचे, तो उनके अनुयायियों ने भव्य स्वागत किया। गांव से लेकर शहर तक श्रद्धालुओं और सामाजिक संगठनों ने उत्साह के साथ उनका अभिनंदन किया। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं।गुरुजनों का आशीर्वाद और मानव सेवा का संकल्पGokarna Dham स्वामी कपिल पुरी महाराज ने कहा कि यह पदवी उनके गुरुजनों की कृपा और आशीर्वाद का परिणाम है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सनातन धर्म और हिंदुत्व की मशाल को बुलंद करना है। मानव मात्र की सेवा और अध्यात्म से जुड़कर जीवन को तनावमुक्त और सुखमय बनाना हमारा ध्येय है।"गोकर्ण धाम की ऐतिहासिक विरासतगोकर्ण धाम का इतिहास प्राचीन और समृद्ध है। स्वामी कपिल पुरी के नेतृत्व में डेरा बाबा लक्ष्मण पुरी न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी रहा है। यहां नियमित रूप से रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच शिविर, और जरूरतमंदों की सहायता जैसे कार्य आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, नित्य प्रति धार्मिक आयोजन और विशेष पर्वों पर कार्यक्रम गोकर्ण धाम की परंपराओं का हिस्सा हैं।सनातन धर्म और हिंदुत्व का विस्तारस्वामी कपिल पुरी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि मानव सेवा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार से ही समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है। उनका मानना है कि आने वाली पीढ़ियों को परमार्थ और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।मुख्य बिंदु:स्वामी कपिल पुरी को प्रयाग कुंभ में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के उपाचार्य की उपाधि मिली।गोकर्ण धाम में रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर और धार्मिक आयोजन नियमित होते हैं।मानव सेवा और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार मुख्य उद्देश्य।संत समाज और राजनीतिक, सामाजिक संगठनों ने दी शुभकामनाएं।