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Global warming effect ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से सजगता ही बचाएगी सेहत

04:05 AM Jan 22, 2025 IST
बच्चे के सिर पर हाथ रखकर उसे कड़ी धूप व गर्मी से बचाती एक महिला।

लगातार बढ़ता तापमान यानी ग्लोबल वॉर्मिंग का हमारे हेल्थ पर कई तरह से असर पड़ रहा है। प्रदूषण से मिलकर यह कुप्रभाव और ज्यादा हो रहा है। मसलन, सैर-व्यायाम करने पर डिहाइड्रेशन व हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है वहीं मानसिक तनाव भी बढ़ा है। कई फसलों की पैदावार घटी है और क्वालिटी भी। ऐसे में बाहर सैर-व्यायाम करें तो पर्याप्त पानी पीने जैसे कई एहतियात जरूरी हैं।

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डॉ.माजिद अलीम
ग्लोबल वार्मिंग ने सिर्फ मौसम, जलवायु, बारिश के पैटर्न ही नहीं बदले बल्कि ये हमारे हेल्थ और फिटनेस पर भी अब तेजी से असर डाल रही है। यानी ग्लोबल वार्मिंग ने हमारे पर्यावरण को जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे तो हम कई सालों पहले से जान रहे हैं, लेकिन अब हमें अपनी हेल्थ पर भी इसके असर दिखने लगे हैं।
बढ़ते हीट स्ट्रोक
हम सब जानते हैं कि ज्यादा तापमान में व्यायाम करने से शरीर में डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, इन दिनों ऐसा ही हो रहा है। पिछले दो सालों में यूरोप और अमेरिका में सबसे ज्यादा डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक के मामले सामने आये हैं। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पहले कभी हीट वेव नहीं चला करती थी। पेरिस, न्यूयार्क और लंदन में भी हाल के सालों में साइकिलिंग के दौरान हीट स्ट्रोक की घटनाएं 5 से 15 फीसदी तक बढ़ी हैं। न्यूयार्क में 2023 और 2024 में हीट स्ट्रोक की जितनी घटनाएं सामने आयी हैं, पिछली सदी में उसके 10वें हिस्से में भी नहीं आयीं। जाहिर है ये बढ़ते तापमान का नतीजा है। यही वजह है कि यूरोप और अमेरिका के ज्यादातर शहरों में अब खास तौरपर जिम की नई गाइडलाइंस में एक्सरसाइज के लिए शाम और सुबह को प्राथमिकता दी जा रही है।
वायु की गिरती गुणवत्ता
दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में पिछले तीन सालों में वायु प्रदूषण इस कदर खराब हो गया है कि दिल्ली में तो प्रतिवर्ष हवा की खराब गुणवत्ता के कारण इससे बीमार पड़ने और मरने वाले लोगों की संख्या में 10 हजार से 15 हजार के बीच इजाफा हुआ है। राजधानी दिल्ली में पिछले पांच सालों से हवा औसतन साल के 300 दिन सामान्य से बहुत ज्यादा खराब रहती है। इसीलिए अब दिल्ली में स्वास्थ्य विशेषज्ञ खासकर फिटनेस के जानकार बूढ़े लोगों को सुबह के समय घूमने जाने की सलाह देते वक्त झिझकते हैं। क्योंकि दिल्ली में हवा इतनी प्रदूषित है कि घूमने से जो फायदे हो सकते हैं, उससे कहीं ज्यादा हेल्थ के लिए नुकसान होने की आशंका रहती है। क्योंकि दिल्ली जैसे वायु प्रदूषण से ग्रस्त शहर में सुबह के समय दौड़ने या खुली हवा में योग करने से सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाने का खतरा पैदा हो गया है। जिस तरह से दिल्ली की हवा प्रदूषित है, उससे फेफड़ों की क्षमता प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि दिल्ली में कार्डियो वर्क आउट्स कम प्रभावी हो रहे हैं।
मानसिक सेहत पर भी असर
ग्लोबल वार्मिंग के कारण सिर्फ शारीरिक परेशानियां ही नहीं बढ़ीं बल्कि मानसिक तनाव भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हमारी व्यायाम की आदतें बदल गई हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ता हीट स्ट्रोक और तनाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को लगातार डाउन कर रहा है। क्योंकि इस ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारी फसलों के ऊपर और हमारे पोषण की गुणवत्ता पर भी पड़ा है। इसलिए भी यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रही है। क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण कुछ फसलें कम पैदा हो रही हैं, खासकर प्रोटीन और मिनरल से भरपूर फ्रूट का उत्पादन घटा है और इनकी कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। इससे भी हमारी फिटनेस पर असर पड़ रहा है कि हम इन्हें महंगे होने के कारण नहीं खा पा रहे।
फिर भी कैसे रहें स्वस्थ
वैज्ञानिक पिछले तीन दशकों से लगातार दुनिया को आगाह कर रहे हैं कि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। बावजूद इसके ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए जितने उपाय किये जाने थे, वो नहीं हो रहे। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कितना भी संकट गहरा जाए, अब अचानक इस स्थिति में रातोंरात सुधार नहीं हो सकता। कहने का मतलब यह है कि अब हमें इसी खराब मौसम और ग्लोबल वार्मिंग के बीच जीना है। सवाल है हम इस ग्लोबल वार्मिंग के रहते हुए अपनी सेहत और फिटनेस पर किस तरह ध्यान दें? पहली बात तो व्यायाम हमेशा सुबह या शाम के समय ही करें। जब तापमान और वायु गुणवत्ता दोनों बेहतर हों। आउटडोर एक्सरसाइज का लालच न पालें, क्योंकि इन दिनों प्रदूषण की स्थिति काफी बिगड़ी हुई है और ग्लोबल वार्मिंग से मिलकर यह प्रदूषण ओर ज्यादा नुकसान करने लग जाता है। इसलिए घर या जिम के भीतर ही व्यायाम को प्राथमिकता दें। मौसम की बात करें तो अप्रैल, मई, जून बल्कि जुलाई और अगस्त के महीने में भी व्यायाम करते समय सतर्क रहें। पर्याप्त मात्रा में पानी और इलेक्ट्रॉलाइट्स का सेवन करें। स्मॉग बढ़ जाये तो पॉल्यूशन मॉस्क या एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
पिछले एक दशक से लगातार वैज्ञानिकों की चेतावनियों के बावजूद अंधाधुंध विकास से हमारे इर्दगिर्द की हवा, पानी, मिट्टी, खाद सामग्रियां, सब कुछ प्रदूषित, संक्रमित या ग्लोबल वार्मिंग के कारण असामान्य हो गई हैं। ऐसे में यह तो नहीं कहा जा सकता कि हम पूरी तरह से व्यायाम करना छोड़ दें, क्योंकि वह तो और खतरनाक होगा। लेकिन व्यायाम करने के तौर-तरीकों पर हमें सजगता भरा बर्ताव करना होगा ताकि सेहत की कसौटी में हम कमजोर न पड़ें। -इ.रि.सें.

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