लोकतांत्रिक मूल्यों में वैश्विक हित
सुरेश सेठ
अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए एक नया संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में भारत को पुष्पित बनाएंगे और पुष्प की पंक्तियों से इसे विकसित करेंगे। उन्होंने पी से प्रगतिशील भारत का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है हमारे संविधान की प्रतिबद्धता कि हम देश में प्रजातांत्रिक समाजवाद स्थापित करेंगे। यह वंचितों के लिए आशा की किरण है, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है। अमृत महोत्सव मनाने के बाद भी अमीर और गरीब के बीच की खाई और बढ़ गई है।
यू से अजेय भारत का संकेत है कि भारत की सेना आत्मनिर्भर और आधुनिक हो गई है। देश की अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। एस से आध्यात्मिक भारत का अर्थ है कि आधुनिकता की रौ की बजाय आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना भारत का लक्ष्य होगा। अध्यात्म का सही संदेश अगर कोई दे सकता है तो वह भारत है, लेकिन यह संदेश कट्टरता से मुक्त होना चाहिए।
एच से मानवता का समर्थन करता भारत और पी से समृद्ध भारत का संकेत, मंदी के अंधड़ में फंसी दुनिया में भारत की तेज विकास दर को बनाए रखने और अपनी मंडियों में निवेश की मांग को कम न होने देने की ओर है।
इन सभी पहलुओं के माध्यम से, प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत को प्रगतिशील, अजेय, आध्यात्मिक और समृद्ध बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत ने अपनी आजादी के शतकीय महोत्सव में विकसित भारत की स्थापना का लक्ष्य रखा है, और उसका आदर्श है कि वह आर्थिक महाशक्ति बनेगा। न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रतीक ‘नमस्ते’ को वैश्विक पहचान बनाने का समय आ गया है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के सकारात्मक मूल्यों को अमेरिका की सामाजिक व्यवस्था में प्रमुखता देने का संदेश दिया। मोदी ने प्रवासी भारतीयों को देश का ब्रांड एम्बेसडर बताया और कहा कि भारत आज अवसरों की धरती है। भारत में नेतृत्व करने की क्षमता है और वह रुकने या थमने वाला नहीं है। यह प्रेरणा वास्तव में उत्साहजनक है। मोदी यहां अपने देश में हो रहे सेमीकंडक्टर सेक्टर के तेज विकास की ओर इशारा कर रहे थे, जो भारत के डिजिटल परिवर्तन का हिस्सा है। उन्होंने ‘मेड इन इंडिया’ के तहत सेमीकंडक्टर चिप्स को विकसित भारत की उड़ान के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, इस डिजिटल युग का लाभ देश की गरीब और वंचित आबादी तक पहुंचाना जरूरी है, जो रोजगार और महंगाई की समस्याओं का सामना कर रही है। मोदी का नेतृत्व सशक्त है, लेकिन उन्हें इन वंचित वर्गों की जरूरतों का ध्यान रखना होगा, ताकि वे डिजिटल भारत में शिक्षा और अवसरों से वंचित न रहें।
मोदी जी ने प्रवासी भारतीयों के सामने यह दावा किया कि भारत पहला जी-20 देश है जिसने पेरिस जलवायु लक्ष्यों को हासिल किया है, और उनका कार्बन उत्सर्जन दुनिया के मुकाबले कम है। उन्होंने कहा कि भारत हरित क्रांति की राह पर अग्रसर है और पर्यावरण प्रदूषण के संकट का सामना करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ-साथ विकसित पश्चिमी देश भी इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे, क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग सभी के लिए एक गंभीर संकट है।
पिछले दिनों मौसम के असाधारण परिवर्तनों ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया है। इसके परिणामस्वरूप कृषि, उत्पादन और निवेश में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे मांग में कमी आई है। अमेरिका ने इस समस्या से निपटने के लिए अपनी फेडरल दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कमी की है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र इस संकट का सामना कर रहा है, जिससे मंदी और निवेश की अनिश्चितता उत्पादन की गणनाओं को अस्तव्यस्त कर रही है। इसलिए, दुनिया को समावेशी विकास का नया रास्ता अपनाना होगा। भारत, जो अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है, अगर बदलाव का नेतृत्व करता है, तो यह सकारात्मक कदम होगा। पश्चिमी और संपन्न देशों को तीसरी दुनिया के देशों की शक्ति का अहसास करना होगा और भारत की नई ताकत को स्वीकार करना पड़ेगा।
यदि सभी मिलकर मौजूदा चुनौतियों पर नियंत्रण करते हुए आगे बढ़ते हैं, तो दुनिया में भुखमरी, महंगाई और बेरोजगारी का संकट समाप्त हो सकता है, जो अब केवल तीसरी दुनिया के देशों में नहीं, बल्कि संपन्न देशों में भी देखा जा रहा है।
इसके अलावा, लोकतंत्र ही इस दुनिया में मुक्ति और विकास का सही रास्ता है। अधिनायकवादी महत्वाकांक्षाएं संघर्ष और तनाव पैदा करती हैं, जैसा कि पिछले दो-तीन वर्षों में देखा गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध और इस्राइल-हमास संघर्ष के चलते दुनिया में शांति का माहौल नहीं बन रहा है, और यदि यह स्थिति बढ़ती है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।