मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

हरियाणा पुलिस को राष्ट्रपति अवार्ड देना निंदनीय : संयुक्त किसान मोर्चा

07:46 AM Jul 20, 2024 IST
Advertisement

संगरुर/राजपुरा, 19 जुलाई (निस)
सरकार द्वारा किसान आंदोलन के दौरान किसानों को दिल्ली जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाने वाले हरियाणा पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों को राष्ट्रपति अवार्ड देने की सिफारिश का निर्णय निंदनीय है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) इस निर्णय की घोर निंदा करता है और इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगा। यह बात भारतीय किसान एकता (बीकेई) के अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने खनौरी बार्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।
इस बीच, भारतीय किसान मजदूर यूनियन के प्रधान मननजीत सिंह ने कहा कि पिछले पांच महीनों से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने जा रहे किसानों को बॉर्डर पर रोकने वाले तीन आईपीएस अधिकारियों को सम्मानित करने का कार्य कर भाजपा की हरियाणा सरकार ने किसानोंं के जख्मों पर नमक छिड़कने का कार्य किया है। औलख ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों पर सरकार ने सीधी गोलियां चलाकर, जहरीली गैस छुड़वाकर अत्याचार किए। एक युवा किसान शुभकरण इस दौरान शहीद हो गया। अनेक किसानों की आंखों की रोशनी चली गई, कुछ लोगों के हाथ-पांवों में फ्रैक्चर हो गया। सरकार ने निहत्थे किसानों पर हमला करवाकर अपनी क्रूरता का परिचय दिया। औलख ने कहा कि अब हाईकोर्ट ने कुछ दिन पूर्व सरकार को आदेश दिया था कि वो बॉर्डर के रास्ते खोलें और किसानों को दिल्ली जानें दें, लेकिन इसके बाद भी हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट चली गई, यहां से भी सरकार को कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार किसान हितैषी होने का दम भरती है, लेकिन दूसरी ओर किसानों पर अनगिनत अत्याचार कर किसान विरोधी होने का सबूत दे रही है।

बॉर्डर खुलते ही दिल्ली कूच करेंगे किसान : औलख

लखविंद्र औलख ने कहा कि जैसे ही बॉर्डर के रास्ते खुलते हैं, किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे। इसके लिए बाकायदा किसानों ने पुख्ता तैयारियां भी कर ली है। औलख ने कहा कि करनाल के गांव अमूपुर में 4 सिख परिवारों के घरों को तोड़ दिया गया, वहां 88 एकड़ में कब्जाधारकों के करीब 200 घर बने हुए हैं लेकिन तोड़े सिर्फ चार परिवारों के हैं। उन्हें अपने घरों से सामान भी बाहर नहीं निकलना दिया गया। वे अपने बच्चों के साथ सड़क पर रहने को मजबूर हैं। इस मौके पर प्रकाश ममेरां ने कहा कि अगर सरकार सम्मानित ही करना चाहती है तो इन्हें एक बार बॉर्डर भेजे, जहां हमारे देश के जवान आतंवादियों से लड़कर शहीद हो रहे हैं, ताकि इन्हें भी पता चले की सम्मान क्या होता है! इस दौरान उनके साथ अंग्रेज सिंह कोटली, तलविंदर सिंह सोखी, जगदीश स्वामी भी मौजूद थे।

Advertisement

Advertisement
Advertisement