शादी करें अभी कर्ज चुकाएं बाद में
लोकमित्र गौतम
शादी-ब्याह में आजकल पैसों के त्वरित इंतजाम हेतु वेडिंग लोन का चलन बढ़ता जा रहा है। इंडियालेंड्स द्वारा अक्तूबर-नवंबर 2023 में 25 से 40 साल की उम्र वाले 1200 मिलेनिअल्स के बीच देश के 20 शहरों में किये गए एक सर्वे के मुताबिक़, 40 प्रतिशत युवा अपनी शादी में 5 लाख से 25 लाख रुपये तक का लोन लेकर खुद इसका खर्च उठा रहे थे। इनमें से युवतियों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत थी। जिन लोगों के बीच यह सर्वे किया गया था, उनका सीधा रिश्ता उन 35 लाख शादियों से था, जो 1 नवंबर से 15 दिसंबर 2023 के बीच संपन्न हुई थीं। जबकि साल 2018-19 में 20-30 वर्ष की आयु के युवा भारतीयों में से करीब 20 फीसदी ने वेडिंग लोन के लिए आवेदन किया था,लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान वेडिंग लोन की मांग 33 फीसदी तक बढ़ गई थी। विवाह ऋण आवेदनों में तब हुई इस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण शादी की तैयारियों में हुई एक साल की देरी के कारण इनके बजट में हुई वृद्धि थी।
शादियों के क्षेत्र की तेज ग्रोथ
संभव हो तो हर भारतीय की खूब धूमधाम से शादी करने की दिली ख्वाहिश होती है। शादियों के अर्थशास्त्र के मुताबिक़, एक औसत भारतीय शादी का खर्च इन दिनों 500,000 से लेकर 5 करोड़ रुपये तक है। भारतीय लोग शादी में अपने जीवनभर की कमाई का औसतन पांचवां हिस्सा खर्च कर देते हैं। इंडियन मैरिज सेक्टर, सालाना 25 से 30 फीसदी की दर से तेजी से बढ़ रहा है। यह अलग बात है कि अपनी अंतर्निहित विशेषताओं के कारण, भारतीय विवाह व्यवसाय कोरोना महामारी के दौरान बेहद नुकसान की हालत में गया था। लेकिन 2021 में 2020 की तुलना में खर्च में 57 फीसदी की वृद्धि हुई और 2022-23 में यह कोरोना के पहले के स्तर पर लौट आया। इसमें बड़ी भूमिका मुंबई, बंगलूरु, लखनऊ, जयपुर और दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में घर से बाहर जाकर शादियों के बढ़ते चलन के कारण रही।
गुलजार बाजार में बैंकों की दस्तक
पहले की तरह शादियां अभी भी भारतीयों की जिंदगी के सबसे खर्चीले मौकों में से एक बनी हुई हैं। भारत का बैंकिंग और वित्तीय बाजार अब इस शानदार क्षेत्र को भुनाने की भरपूर तैयारी कर चुका है। यही कारण है कि एक तरफ जहां उपभोक्ता कल्चर को बढ़ावा देकर शादियों को ज्यादा से ज्यादा धूमधाम वाला अवसर बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इन शादियों को बैंक और वित्तीय संस्थान फाइनेंस करने के लिए ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों के बीच अप्रोच कर रहे हैं। आजकल टीवी सीरियल, सिनेमा और सोशल मीडिया पर आकर्षक शादियां दिखायी जाती हैं जो लोगों को खूब खर्च करने के लिए उकसाती हैं। ऐसे में शादी के लिए होटलों और मैरिज रिसॉर्ट्स की जबरदस्त मांग बढ़ी है। मल्टीनेशनल कंपनियों और सर्विस सेक्टर में ब्लू कॉलर जॉब कर रहे युवा अब घरों से शादी करने में खास रोमांच नहीं महसूस करते हैं।
डेस्टिनेशन शादियों का ट्रेंड
आज शादी करने की योजना बना रहे 100 में से 10 युवाओं से पूछिए तो वे कहेंगे कि वे गंतव्य शादियों के बारे में सोचते हैं। देश में कई शहर गंतव्य या डेस्टिनेशन मैरिज के शानदार केंद्र बनकर उभरे हैं। इनमें जयपुर, उदयपुर, मसूरी और लोनावाला सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। शादियों को यादगार बनाने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए आज जहां बाजार में कपड़ों से लेकर मनोरंजन तक के बेहद आकर्षक थीम मौजूद हैं, वहीं इन सबका खर्च उठाने के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान पलकें बिछाये खड़े हैं।आपके पास जरूरी दस्तावेज हों तो एक हफ्ते से भी कम समय में मैरिज लोन मिल जायेगा। शहरों में अब 10 से 15 फीसदी शादियां बैंक या वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए गये लोन के जरिये होती हैं। एक तरह से देखें तो यह बहुत अच्छी सुविधा है, क्योंकि शादियां तो हमेशा किसी से उधार लिए बिना नहीं होती थीं। फर्क सिर्फ इतना था कि पहले आमतौर पर लोगों को यह उधार साहूकारों या रिश्तेदारों से लेना पड़ता था।
पैरेंट्स को भी रास आया
आज आसानी से मिल रहा मैरिज लोन सिर्फ युवाओं को ही नहीं उनके पैरेंट्स को भी भा रहा है। क्योंकि उन्हें बच्चों की शादी के लिए साहूकारों या रिश्तेदारों के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ते। आज शादी करने वाला हर चौथा शहरी युवा अपने घरवालों पर बोझ डालने की बजाय 20 से 25 लाख रुपये तक का मैरिज लोन खुद लेना पसंद कर रहा है। उसे यह लोन आसानी से व लगभग तुरंत ही मिल भी रहा है बशर्ते उसका कम से कम मिडिल पैकेज यानी 8 से 12 लाख सालाना की जॉब हो। हां, जरूरी दस्तावेज होने चाहिये। कुल 2,00,000 करोड़ से ज्यादा के सालाना मैरिज कारोबार में करीब 20,000 करोड़ रुपये का सालाना लोन कारोबार दिया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि 2030 तक देश का सालाना मैरिज लोन बाजार करीब 80,000 करोड़ रुपये की सीमा पार कर जायेगा, जबकि सालाना शादी कारोबार 4,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले सालों में देश का मैरिज लोन बाजार स्वास्थ्य बीमा बाजार से बड़ा हो जायेगा। इसके इसलिए भी बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि मैरिज लोन बाजार काफी प्रतिस्पर्धी बाजार है, क्योंकि आज 11 से 20 फीसदी की सालाना ब्याज दर पर उपलब्ध यह लोन साहूकारों से लिए गये उधार के बदले चुकाये जाने वाली ब्याज दर के मुकाबले काफी कम है। साहूकार आमतौर पर 2 से 3 फीसदी मासिक दर पर कर्ज देते हैं, जो कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के मुकाबले 200 से 300 फीसदी तक महंगा होता है। साथ ही आरबीआई की गाइडलाइन से जुड़े वित्तीय संस्थान भी मैरिज लोन 18 से 20 फीसदी सालाना ब्याज दर पर देते हैं। यही कारण है कि इन दिनों मैरिज लोन का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय विवाहों में खर्च
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने साल 2018-19 में,भारत में शादी बाजार के खर्च संबंधी आंकड़े आंके थे जिनके मुताबिक, भारत में हर वर्ष होने वाली कुल शादियां लगभग 1 करोड़ हैं। इन शादियों के लिए हर साल सोने और हीरे के कुल आभूषणों की बिक्री करीब 90,000 करोड़ रुपये की होती है। इसी तरह शादियों के लिए हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये के कपड़े बिकते हैं। वहीं फर्नीचर की बिक्री करीब 30,000 करोड़ रुपये की होती है तो होटल आदि की बुकिंग पर 7,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। पंडाल और आयोजन स्थल की सजावट में करीब 10,000 करोड़ रुपये और शादी के लिए निमंत्रण कार्ड आदि से लेकर अन्य छोटे खर्चों में करीब 10,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। रात के खाने का औसत खर्च 700 से 2000 रुपये प्रति व्यक्ति होता है। दुल्हन मेहंदी में करीब 5,000 करोड़, संगीत में करीब 1,000 करोड़ रुपये, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी आदि में करीब 1,500 करोड़ रुपये तथा आतिशबाजी, पूजा, त्वरित कामों के लिए लगाए गए सहायकों आदि को देने में करीब 5000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इस तरह बहुत मामूली शादी में भी करीब 2 लाख रुपये का तो सिर्फ बुनियादी खर्चा आता है।
-इ.रि.सें.