For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

जर्मनी में क्वालिटी है और नौकरियों के अवसर भी : जर्मन सांसद

07:08 AM Nov 04, 2024 IST
जर्मनी में क्वालिटी है और नौकरियों के अवसर भी   जर्मन सांसद
Advertisement

पानीपत, 3 नवंबर (वाप्र)
जर्मनी के फ्रैंकफर्ट सिटी के सांसद राहुल कंबोज प्रदेश के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा से उनके पानीपत एल्डिको स्थित आवास पर मिले। इस दौरान उन्होंने शिक्षा मंत्री को जर्मनी आने का न्योता दिया। भारतीय मूल के राहुल कंबोज का पैतृक गांव अलाहर (लाडवा) है। पचास वर्ष पूर्व उनके दादा जर्मनी में बसे थे। राहुल कंबोज पहले भारतीय मूल के हैं, जो जर्मनी में सांसद बने हैं। शिक्षा मंत्री सहित कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।
महीपाल ढांडा ने बताया कि सांसद ने जर्मनी के एजुकेशन सिस्टम की चर्चा की। हालांकि बहुत कम बात हुई। उन्होंने कहा कि जर्मनी के शिक्षा स्ट्रक्चर से हरियाणा के लिए क्या कुछ लिया जा सकता है। इसका प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे। उन्होंने जर्मनी में मुझे आमंत्रित किया है। यदि मौका मिलता है तो वे जर्मनी जाएंगे। वहां के एजुकेशन सिस्टम में क्या बेहतर है, उसे साझा किया जा सकता है।
राकेश कंबोज ने बताया कि जर्मनी में भारत की तरह लोकतंत्र है। अपनी जीत पर उन्होंने कहा कि यह सब भारतीय मिट्टी की पावर है कि हमें जर्मनी में सेवा करने का मौका मिल रहा है। मैं पिछले आठ-दस साल से भारत और हरियाणा के साथ संबंध बना रहा हूं कि दोनों देश के बीच युवाओं के लिए रूपरेखा ब्रिज बने। जर्मनी के अंदर क्वालिटी है, नौकरियों की अपॉर्चुनिटी है, भारत में लगन है। यदि एक-दूसरे से मिलकर काम करें तो क्या नहीं कर सकते।
इस टाॅपिक पर हरियाणा सरकार से भी बात हुई है और शिक्षा मंत्री से मिलना भी हुआ। आने वाले समय में कई नये रास्ते खुले जो हरियाली की तरफ जाता है, जो देश और पूरे विश्व की तरक्की की तरफ जाता है। इस महायज्ञ में हमारा भी योगदान हो जाए तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। जो बच्चे यहां पढ़ रहे हैं, उनकी शिक्षा भी अच्छी है, जो वहां पढ़ रहे हैं, उनकी भी। एजुकेशन बढ़ाने के लिए जर्मनी में कार्य किया जा रहा। जर्मनी के चांसलर भी भारत आए थे। स्किल को बढ़ाने के लिए एमओयू साइन किया गया है। हरियाणा सरकार से स्टेट सरकार भी संपर्क में है। वीजा आसानी से मिल रहा है। इसके लिए साफ रास्ता मिलना चाहिए, जिससे जर्मनी में रहना भी आसान हो सके। भले ही मैं जर्मनी में पला-बढ़ा हूं, लेकिन देश को अपने दिल में लिए फिरते हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement