गहरे मनोभावों के वेग का सृजन
सरस्वती रमेश
कविताएं मनुष्य होने की बेचैनी की अभिव्यक्ति हैं या व्यक्ति में न्यूनतम मनुष्यता को बचाये रखने की जद्दोजहद हैं। ऐसे ही इंसान में इंसान को खोजने का प्रयास करती हैं जानी-मानी कवयित्री आशमा कौल की कविताएं, जिसे उन्होंने अपने काव्य-संग्रह ‘स्मृतियों की आहट’ में दर्ज किया है। जीवन-संघर्ष, सरोकार और स्मृतियों के कोलाज से भरे इस संग्रह को हाल ही में प्रकाशित किया है अयन प्रकाशन ने।
आशमा कौल की कविताओं का आकाश बहुत विस्तृत है। यहां धरती के प्रति प्रेम है तो स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में घुटती स्त्रियों का दर्द भी है। मजदूरों के कठिन जीवन की तपस्या है तो एक मां के प्रति बेटी की भावनाओं का असीम सागर भी है। अपने आसपास घटित हो रही घटनाओं पर उनकी पैनी नजर है, जिसे उन्होंने भावना से भरी कविताओं में गूंथ कर प्रस्तुत किया है।
आशमा कौल की कविताएं बड़ी संवेदनशीलता से दुनियाभर की क्रूरताओं, अत्याचार और पीड़ा को दर्शाती हैं पर एक सुखद दुनिया के स्वप्न को भी पाठकों के जेहन में छोड़ जाती हैं। एक कविता में वो लिखती हैं :-
विश्व को काश कोई
सुझा दे मार्ग बुद्ध का
ताकि हो सके खत्म
ये सारे युद्ध और
कायम हो सके
हर तरफ शांति।
सरल भाषा और गहरे मनोभावों के वेग में लिखी ये कविताएं पाठकों को सुखद अनुभूति से भी भरती हैं और बेचैन भी करती हैं। कुछ कविताएं बहुत सुंदर और प्रभावी बन पड़ी हैं तो कुछ कविताओं के भाव और बिंब सामान्य से लगे। आशमा कौल जैसी कवयित्री से इससे ज्यादा की उम्मीद की जाए तो बेजा नहीं होना चाहिए।
पुस्तक : स्मृतियों की आहट कवयित्री : आशमा कौल प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 119 मूल्य : रु. 340.