गीता वैश्विक धर्म ग्रंथ, करवाती है कर्तव्य कर्म का बोध : सनातन चैतन्य
अम्बाला शहर, 24 दिसंबर (हप्र)
मंथन सामाजिक चेतना संगठन अम्बाला शहर के तत्वावधान मे गीता जयंती के अवसर पर श्री कबीर जन कल्याण सेवाश्रम नगर खेड़ा मोती नगर में आचार्य सनातन चैतन्य की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि मुकेश एबट समाजसेवी, मंथन सामाजिक चेतना संगठन के अध्यक्ष चमन अग्रवाल व प्रेम अग्रवाल
उपस्थित थे। पंडित रविंद्र नाथ तिवारी ने मंत्रोच्चार द्वारा ज्योति व गीता पूजन किया। इसके पश्चात भजन गायक धनश्याम रतन ने गुरु भजन गाया। आचार्य सनातन चैतन्य ने गीता प्रेमी भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भगवत गीता वैश्विक ग्रंथ है, गीता के ऊपर कोई भी सांप्रदायिकता का दोषारोपण नहीं कर सकता। गीता उपदेश तो मानव मात्र के लिए है। आचार्य ने कहा कि गीता का प्रारंभ धर्म शब्द से व समापन मम् शब्द से हुआ है अर्थात् मम् धर्म, मम् यानी मेरा और धर्म मतलब कर्तव्य गीता हमें कर्तव्य कर्म का बोध कराती है। कार्यक्रम के अंत में श्रीमद्भगवतगीता आरती पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर बच्चों द्वारा गीता श्लोकोच्चार हुआ। कुमारी माही मलिक, सपना चौरसिया, लक्ष्मी चौहान, तृप्ति शुक्ला, तृषा शुक्ला ने गीता के अलग-अलग अध्याय से श्लोक वाचन किया। सबसे छोटी उम्र की कुमारी सृष्टि शुक्ला ने श्री हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। गीता व्याख्यान में कुमारी वैष्णवी वर्मा, सीप गुप्ता, सुनीता वर्मा, यशवती रतन, निर्मला रानी, परवेश रानी, अवधेश पाण्डे, प्रेमनाथ मिश्रा, देशराज व मास्टर मदन गोपाल शर्मा ने भाग लिया। कुमारी वैष्णवी वर्मा ने गीता महात्म्य पर प्रकाश डाला। सभी को मुख्यातिथि व आचार्य द्वारा सम्मान पत्र व स्मृति प्रसाद प्रदान किया गया।
संगठन के अध्यक्ष चमन अग्रवाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहाकि गीता हमारी माता है जैसे मां की गोद में बच्चे आनंद व सुकून महसूस करते हैं, वैसे गीता अध्ययन से आनंद व सुकून मिलता है। श्री गीता से जीवन जीने की कला मिलती है।