ब्लडलेस लिवर ट्रांसप्लांट कर 2 बच्चियों को दिया जीवनदान
फरीदाबाद, 7 मार्च (हप्र)
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने 10 और 11 साल की 2 बच्चियों का ब्लडलेस लिवर ट्रांसप्लांट किया था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अस्पताल ने इस सफलता का जश्न मनाया। इस अवसर पर मरीजों को सर्जरी से पहले और बाद के अपने अनुभव सांझा करने के लिए बुलाया गया। टीम का नेतृत्व लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ.पुनीत सिंगला ने किया। एनेस्थेटिस्ट एवं आईसीयू केयर के डायरेक्टर डॉ. ऋषभ जैन और सर्जरी, एनेस्थीसिया और आईसीयू की टीम के अन्य सदस्य का भी विशेष योगदान रहा।
उन्होंने बताया कि लिवर हमारे शरीर के सबसे बड़े अंगों में से एक है और यह पाचन, इम्युनिटी और मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने, ब्लड को फिल्टर करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर में विटामिन, मिनरल्स एवं पोषक तत्वों की मात्रा बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर फेलियर के अंतिम स्टेज में मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। यह समस्या खराब जीवनशैली, संक्रमण और लिवर बीमारियों के कारण हो सकती है। डॉक्टरों ने बताया कि 11 वर्षीय लैचिन को विल्सन नामक बीमारी थी। उसे गंभीर पीलिया और हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी थी और उसे बेहोशी की हालत में फूले हुए पेट के साथ एमरजेंसी में एडमिट किया गया था। डॉक्टर ने एमरजेंसी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। ऑप्रेशन में 12 घंटे का समय लगा। ब्लडलेस तकनीक की मदद से डॉक्टरों की टीम ने ऑप्रेशन किया और डोनर और उसके पिता को एक सप्ताह के बाद छुट्टी दे दी गई और जबकि बच्ची को 3 सप्ताह बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया। दूसरी मरीज किर्गिस्तान से 10 वर्षीय अरुउज़ातिम थी, जिसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की समस्या थी। यह बच्ची लिवर डिजीज के साथ कम प्लेटलेट काउंट और नाक से ब्लीडिंग की समस्या के साथ आई थी। मरीज को ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए ले जाया गया। उसके पिता को एक सप्ताह बाद छुट्टी दे दी गई और बच्ची ने तेजी से रिकवरी की और 3 सप्ताह के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।