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मेला लूट ले गई ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’

07:33 AM Aug 26, 2023 IST

हेमंत पाल

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फिल्मकारों और कलाकारों को उनकी कला और रचनात्मकता के लिए कितने भी पुरस्कार क्यों न मिलें, पर उनकी प्रतिभा को असल पहचान राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से ही मिलती है। दर्शकों को भी संतुष्टि होती है, कि ये पुरस्कार वास्तव में उन्हें ही दिए गए जो इस काबिल हैं। इस नजरिये से इस बार के फिल्म पुरस्कारों की तारीफ की जानी चाहिए कि वे दर्शकों की पसंद पर खरे उतरे! किसी भी सम्मानित फिल्म या कलाकारों के नाम पर कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं बनी। जबकि, पहले कई बार पुरस्कारों की घोषणा के बाद उनकी आलोचना हुई। इस बार के घोषित पुरस्कारों में गौर करने वाली बात यह रही कि जिन हिंदी फिल्मों और कलाकारों को पुरस्कृत किया गया, वे सभी फ़िल्में व्यावसायिक रूप से सफल रहीं। इस बार 28 भाषाओं की 280 फीचर फिल्मों के लिए आवेदन मिले थे।

निशाने पर न पुरस्कृत फिल्में न कलाकार

पुष्पा : द राइस, गंगूबाई काठियावाड़ी, द कश्मीर फाइल्स और 'रॉकेट्री : द नंबी इफेक्ट' की लोकप्रियता जगजाहिर रही। यही कारण है कि किसी भी पुरस्कृत कलाकार या फिल्म को लोगों ने निशाने पर नहीं लिया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार अल्लू अर्जुन को 'पुष्पा : द राइस' के लिए दिया गया। वे यह सम्मान पाने वाले तेलुगु फिल्मों के पहले अभिनेता हैं। फिल्म की सफलता के साथ अल्लू अर्जुन की अदाकारी को भी सराहा गया, जिस पर इस पुरस्कार ने मोहर लगा दी। 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के साथ संजय लीला भंसाली की फिल्मों को मिलने वाला यह 7वां राष्ट्रीय पुरस्कार है। इससे पहले उन्हें मैरी कॉम, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत, देवदास और 'ब्लैक' के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। ग्लैमरस हीरोइन के रूप में पहचानी जाने वाली आलिया भट्ट को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए चुना गया। इस श्रेणी के पुरस्कार को कृति सेनन के साथ साझा किया गया। उन्हें 'मिमी' के लिए इस सम्मान से नवाजा गया, जिन्होंने सरोगेट मदर के किरदार में जान डाल दी।

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वैज्ञानिक की बायोपिक ने मारी बाजी

हिंदी फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज्यादा कामयाब नहीं रही, पर इस बायोपिक को पसंद करने वालों की संख्या कम नहीं रही। ये फिल्म 'इसरो' के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है। उन पर एक साजिश के तहत जासूसी के झूठे आरोप लगे थे। व्यावसायिक सफलता के झंडे गाड़ने वाली फिल्म विवेक अग्निहोत्री की 'द कश्मीर फाइल्स' को नरगिस दत्त अवॉर्ड के तहत राष्ट्रीय एकता की सर्वश्रेष्ठ फिल्म कैटेगरी में चुना गया। इस फिल्म की काफी आलोचना भी हुई, लेकिन कई मामलों में फिल्म की श्रेष्ठता को चुनौती नहीं दी जा सकती। पंकज त्रिपाठी को 'मिमी' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार और पल्लवी जोशी को 'द कश्मीर फाइल्स' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया।

एक फिल्म को पांच श्रेणियों में सम्मान

मुंबई के कमाठीपुरा की ताकतवर वैश्या गंगूबाई के जीवन पर बनी फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' को पांच श्रेणियों में पुरस्कृत किया। आलिया भट्ट को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, उत्कर्षिनी वशिष्ठ को सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले लेखक और फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार भी जीता। वशिष्ठ तथा प्रकाश कपाड़िया ने फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक और प्रीतिशील सिंह डिसूजा ने सर्वश्रेष्ठ मेकअप कलाकार का पुरस्कार भी जीता। 'आरआरआर' ने इस बार 6 पुरस्कार जीते। इस फिल्म के संगीत निर्देशक एमएम कीरावानी ने 'पुष्पा' के संगीत निर्देशक देवी प्रसाद के साथ सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार साझा किया। दर्शकों का मनोरंजन करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म 'काला भैरव' को श्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक, सर्वश्रेष्ठ स्पेशल इफेक्ट्स, सर्वश्रेष्ठ एक्शन निर्देशन और सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का पुरस्कार जीता। शूजीत सरकार की बायोपिक 'सरदार उधम सिंह' ने सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म के साथ ही सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी, सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन डिज़ाइन और कॉस्ट्यूम डिजाइन का पुरस्कार जीता।

'दाल भात' को नवाजा बेस्ट शॉर्ट फिल्म से

डायरेक्टर सृष्टि लखेड़ा की फिल्म 'एक था गांव' को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म चुना गया। फिल्म मेकर नेमिल शाह की गुजराती फिल्म 'दाल भात' को बेस्ट शॉर्ट फिल्म (फिक्शन) चुना गया है। सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मराठी फिल्म ‘गोदावरी’ के लिए निखिल महाजन को दिया गया। जबकि, श्रेया घोषाल को 'इराविन निझाल' के गीत 'मायावा छायावा' के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार मिला। ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का पुरस्कार मलयालम फिल्म 'नायट्टू' और उसके लेखक शाही कबीर को दिया। मलयालम फिल्म 'मेप्पदियां' के निर्देशक को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार मिला। सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार असमी फिल्म 'अनुनाद-द रेजोनेंस' को दिया गया।

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