पंजाब के वोटरों को हरियाणा जेल से धमका रहा गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया !
रवि धालीवाल/ट्रिन्यू
गुरदासपुर, 7 नवंबर
जेल में बंद गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया मतदाताओं को धमका रहा है। आरोप है कि वह डेरा बाबा नानक के चुनावी मैदान में खड़े आप प्रत्याशी को वोट देने के लिए कहता है। इसके चलते गुरदासपुर के मौजूदा सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग की है। सांसद रंधावा ने चुनाव पर्यवेक्षक से भी संज्ञान लेने की गुजारिश की है। उपचुनाव में यहां रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर कांग्रेस की उम्मीदवार हैं।
अभी हरियाणा की जेल में बंद जग्गू का पैतृक गांव भगवानपुरिया है। बताया जा रहा है कि वह कथित तौर पर वीडियो कॉल के जरिए सरपंचों और बड़े वोट बैंक वाले नेताओं को धमका रहा है। सांसद रंधावा ने भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने जग्गू भगवानपुरिया को जेल में मोबाइल कैसे उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह समझने में विफल हूं कि यह गुंडा जेल के अंदर से मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे कर सकता है।’ रंधावा ने कहा, ‘पंजाब पुलिस ने जग्गू की मां हरजीत कौर और उसके चचेरे भाई गगन भगवानपुरिया को सुरक्षा मुहैया कराई है। मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि सरकार उसके परिवार की सुरक्षा क्यों कर रही है।’ इस बारे में बताया जा रहा है कि उसकी मां अपने फोन से वीडियो कॉल की सुविधा देती है। सूत्रों का कहना है कि वह वोटर्स के बीच प्रभावशाली नेताओं से मिलती है। एक अधिकारी ने पुष्टि की कि कई नेताओं को वीडियो कॉल आए हैं। उन्होंने कहा, ‘जो कोई भी उसकी बात नहीं मानता, उसे उसके गुर्गों द्वारा निशाना बनाया जा सकता है। और सच्चाई यह है कि इलाके में उसके वफादारों की कोई कमी नहीं है।’
नाम वापसी के लिए किया था मजबूर
पंचायत चुनाव में जग्गू ने एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों को अपना नामांकन पत्र वापस लेने के लिए मजबूर किया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘किसी में भी उसके टेलीफोनिक आदेशों को नकारने की हिम्मत नहीं थी।’
अकाली दल का दावा एकदम अलग
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) लगातार दावा करता रहा है कि भगवानपुरिया सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा का करीबी है। दिसंबर 2019 में जब रंधावा जेल मंत्री थे, तब अकालियों ने मांग की थी कि गैंगस्टर के साथ उनके संबंधों की जांच होनी चाहिए। कुछ अकाली नेताओं की लगातार मांग पर तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जांच के आदेश दिए थे, जो डीजीपी (इंटेलिजेंस) द्वारा की गई थी और किसी भी संबंध से इनकार किया गया था।