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असल जिंदगी में नर्मदिल थे गब्बर

07:56 AM Nov 30, 2024 IST
असल जिंदगी में नर्मदिल थे गब्बर
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कैलाश सिंह
यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन ‘शोले’ में गब्बर सिंह की भूमिका ने अमजद खान को बतौर एक्टर परिभाषित किया। यह रोल उन्हें लेखक जोड़ी सलीम-जावेद की वजह से मिला था, जबकि निर्देशक रमेश सिप्पी फिल्म के इस महत्वपूर्ण किरदार को किसी अनुभवी ‘खलनायक’ जैसे डैनी, प्राण या प्रेम चोपड़ा को देना चाहते थे। अमजद खान ने तब तक सिर्फ ‘हिंदुस्तान की कसम’ में मामूली सी भूमिका ही निभायी थी। बहरहाल, ‘शोले’ के बाद अमजद खान बड़े स्टार बन गये, लेकिन इसके बाद उन्होंने कभी सलीम-जावेद के साथ काम नहीं किया। अमजद खान ने जिस दिन फिल्म ‘शोले’ साइन की थी उस दिन उनके पास अपने बेटे के जन्म के बाद हॉस्पिटल का बिल देने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे।

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संवाद अदायगी ने दिलाई शोहरत

भारतीय पॉप कल्चर में जो ख्याति गब्बर सिंह को मिली वह आज तक शायद ही किसी अन्य किरदार को मिली हो। ‘शोले’ के 1975 में रिलीज़ होते ही अमजद खान के डायलॉग जैसे ‘अरे ओ सांभा, कितने आदमी थे?’, ‘बहुत याराना है’ और ‘जो डर गया समझो मर गया’ हर किसी की जुबान पर थे। यह साधारण से जुमले हैं, लेकिन अमजद खान ने इन्हें जिस प्रभावी अंदाज़ से व्यक्त किया उससे यह देश की आम बोलचाल का हिस्सा बन गये। हालांकि गब्बर सिंह का नाम मांएं अपने बच्चों को सुलाने के लिए लिया करती थीं, लेकिन असल जीवन में ‘गब्बर सिंह’ उर्फ़ अमजद खान बहुत ही कोमल हृदय के व्यक्ति थे। वह वेफर्स से अपनी पत्नी को खुश करने कोशिश करते थे, ऐसे ही खेलते हुए जब उनके बेटे के चोट लग गई थी तो वह रो पड़े थे और जब उनकी बेटी का एपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन हो रहा था तो उन्होंने डॉक्टर से आग्रह किया था कि उन्हें ऑपरेशन थिएटर में रहने दिया जाये।

प्रेम के बाद शादी का प्रसंग

अमजद खान की पत्नी लेखक व गीतकार अख्तर-उल-इमान की बेटी शेहला थीं। अमजद खान और शेहला,दोनों पड़ोसी होने के नाते एक-दूसरे को जानते थे। दोनों अक्सर साथ बैडमिंटन भी खेलते थे। अमजद शेहला के दीवाने थे। एक इंटरव्यू में शेहला ने बताया था, ‘एक दिन वह मेरे पास आकर बोले, ‘क्या तुम शेहला शब्द का अर्थ जानती हो? इसका अर्थ है काली आंखों वाली।’ फिर उन्होंने कहा, ‘मैं तुमसे शादी करने वाला हूं’।’ इसके कुछ समय बाद उन्होंने शेहला के पिता के पास अपनी शादी का प्रस्ताव भेजा। अख्तर-उल-इमान ने इंकार कर दिया। इस पर अमजद खान ने शेहला के सामने गुस्सा जाहिर किया। शेहला को अतिरिक्त शिक्षा हेतु अलीगढ़ भेज दिया गया, जहां उसे अमजद खान से रोज़ एक प्रेम पत्र मिलता। शायद कुदरत को उनकी प्रेम कथा को सुखद अंत देना था। शेहला बीमार पड़ गईं और उन्हें अलीगढ़ से वापस बॉम्बे बुलाना मजबूरी हो गया। अमजद खान ने फ़ारसी में एमए किया था। इसलिए वह शेहला को फ़ारसी पढ़ाया करते थे। दोनों साथ फ़िल्में देखते थे।

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अच्छे पति व पिता थे ‘गब्बर’

अमजद खान ने एक बार फिर शेहला के पैरेंट्स के पास शादी का प्रस्ताव भेजा। इस बार मंजूरी मिल गई। दोनों ने 1972 में शादी कर ली। उनके पहले बेटे शादाब का जन्म 1973 में उसी दिन हुआ था, जिस दिन उन्होंने फिल्म ‘शोले’ साइन की थी। अमजद खान अच्छे पति व प्यार करने वाले पिता थे। एक बार खेलते हुए उनके छोटे बेटे सीमाब को चोट लग गई थी, चेहरे पर टांके आये थे। अमजद खान अपने चोटिल बेटे को देखते ही रो पड़े। वह अपनी बेटी अहलम को ‘प्रिंसेस’ कहकर पुकारते थे, जिनकी सर्जरी के दौरान उन्होंने डाक्टर से ऑपरेशन थिएटर में साथ रहने का आग्रह किया था।

रिप्लेस करने की भी हुई थी चर्चा

‘शोले’ की शूटिंग के दौरान अमजद खान अनेक समस्याओं से जूझ रहे थे। बेटा कुछ ही माह का था और उनके एक्टर पिता जयंत का कैंसर का इलाज चल रहा था। पैसे की तंगी थी और कैरियर भी सेट करना था। लेकिन शूटिंग में अमजद खान स्थापित एक्टर्स के बीच में थे। वह संघर्ष कर रहे थे और उनकी घबराहट उनके प्रदर्शन में भी दिखायी दे रही थी। अमजद खान को रिप्लेस करने के चर्चे शुरू हो गये। चिंतित सलीम-जावेद को लगा कि सारा इलज़ाम उन पर आ जायेगा, इसलिए उन्होंने रमेश सिप्पी से कहा, ‘अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो अमजद की जगह किसी अन्य कलाकार को ले लो।’ लेकिन निर्देशक ने अमजद खान पर भरोसा किया। बाद में अमजद खान को सलीम-जावेद के उक्त सुझाव के बारे में मालूम हुआ, तो उन्हें दुःख हुआ कि जिन लोगों ने उन्हें फिल्म दिलवायी थी, वह ही उन्हें फिल्म से निकलवा रहे थे। फिर उन्होंने कभी सलीम-जावेद के साथ काम नहीं किया। अभिनेता अमजद खान का 1992 में निधन हो गया लेकिन उनके डायलॉग अब भी प्रचलित हैं।

-इ.रि.सें.

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