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खाद्य शृंखला के लिए घातक हो सकता है फंगस

06:24 AM Jul 18, 2023 IST
खाद्य शृंखला के लिए घातक हो सकता है फंगस
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मुकुल व्यास

दुनिया की आबादी को उच्च कैलोरी प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण फसलें इस समय फंगस के आक्रमण को झेल रही हैं। बढ़ते हुए फंगस संक्रमण के कारण आलू से अनाज और केले तक हमारी कुछ महत्वपूर्ण फसलें संकट में हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इसका हमारी खाद्य आपूर्ति पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। हम वायरस और बैक्टीरिया जैसे रोगाणुओं के बारे में अधिक चिंता करते हैं जो मनुष्यों को बीमार करते हैं। लेकिन फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कॉर्न स्मट और स्टेम रस्ट जैसे फंगस रोग हमें कोरोना, इबोला वायरस या ई. कोलाई बैक्टीरिया की तरह नहीं डराते। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें इनके खतरे को कम करके नहीं आंकना चाहिए। इस तरह के फंगस पहले से ही खेतों पर कहर बरपा रहे हैं।
विश्व स्तर पर कृषि उत्पादकों को हर साल फंगस के संक्रमण से अपनी फसलों का 23 प्रतिशत तक नुकसान होता है। इसके अलावा फसल की कटाई के बाद 10 से 20 प्रतिशत फसलें फंगस से नष्ट हो जाती हैं। भारत में भी फंगस रोगों से बहुत फसल बर्बाद होती है। विभिन्न देशों में दर्ज 30,000 पौधों की बीमारियों में से लगभग 5000 भारत में होती हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में फसल की पैदावार में फंगस संक्रमण से संबंधित गिरावट लगभग 50 लाख टन प्रति वर्ष है। दुनिया की पांच सबसे महत्वपूर्ण फसलें- चावल, गेहूं, मक्का, सोयाबीन और आलू राइस ब्लास्ट फंगस, वीट स्टेम रस्ट, कॉर्न स्मट, सोयाबीन रस्ट और पोटेटो लेट ब्लाइट जैसे फंगस रोगों की चपेट में हैं। ये सभी रोग ओमाइसीट नामक पानी के फफूंद के कारण होते हैं।
खाद्य एवं कृषि संगठन ने फंगस से होने वाले सैकड़ों रोगों की पहचान की है जो मनुष्य को पोषण प्रदान करने वाली 168 महत्वपूर्ण फसलों को प्रभावित करते हैं। रिसर्चरों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फंगस रोगों का विनाशकारी प्रभाव और भी बदतर हो जाएगा। बढ़ते तापमान के कारण फंगस संक्रमण तेजी से ध्रुवों की ओर बढ़ रहा है। संक्रमण के बढ़ने की रफ्तार प्रति वर्ष लगभग सात किलोमीटर है। एक उदाहरण का हवाला देते हुए रिसर्चरों ने बताया कि वीट स्टेम रस्ट संक्रमण जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय देशों में होता है, अब इंग्लैंड और आयरलैंड में भी पाया गया है। उन्होंने कहा कि फंगस मुख्य रूप से एक रोगजनक़ है। यह भारी मात्रा में बीजाणु पैदा करता है जो मिट्टी में 40 वर्षों तक सक्रिय रह सकते हैं।
उच्च तापमान फंगस के नए रोगजनक़ वेरिएंट के विकास को प्रोत्साहित करता है। तूफान या चक्रवात जैसी चरम मौसमीय परिस्थितियां बीजाणुओं को व्यापक भौगोलिक सीमाओं में फैला सकती हैं। उदाहरण के तौर पर वीट स्टेम रस्ट हवा में तैरने वाले बीजाणु पैदा करता है जो दूर-दूर के महाद्वीपों की यात्रा कर सकते हैं।
दुनिया में फंगस द्वारा इस समय नष्ट किया जा रहा खाद्यान्न 60 करोड़ से लेकर 4 अरब लोगों को एक वर्ष तक हर दिन 2,000 कैलोरी प्रदान कर सकता था। इंग्लैंड के एक्सेटर विश्वविद्यालय की वनस्पति रोगविज्ञानी सारा गर ने कहा कि बड़े-बड़े खेतों पर फंगस का खतरा मंडराने से स्थिति निरंतर खराब हो रही है। दुनिया में फंगस संक्रमण के तेजी से प्रसार के कारण हम आने वाले समय में एक बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य संकट देख सकते हैं क्योंकि तेजी से गर्म हो रही दुनिया में फंगस प्रजातियां अधिक प्रतिरोधी होती जा रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार फंगस का संक्रमण न सिर्फ विकासशील देशों के लिए विनाशकारी होगा बल्कि पश्चिमी दुनिया पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा। किसान सदियों से फंगस से लड़ रहे हैं लेकिन आज यह लड़ाई ज्यादा कठिन हो गई है। जलवायु परिवर्तन इसका एक बड़ा कारण है क्योंकि अतिरिक्त गर्मी फंगस की कुछ किस्मों को अपने दायरे का विस्तार करने में मदद कर रही है। इन किस्मों में प्रमुख खाद्य फसलों को खतरा पैदा करने वाली प्रजातियां भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि मनुष्य इस संकट को अन्य तरीकों से भी आमंत्रित कर रहा है। आनुवंशिक रूप से समान फसलों के विशाल मोनोकल्चर की स्थापना इसका एक उदाहरण है। मोनोकल्चर से अभिप्राय एक खेत में एक ही फसल उगाने से है। इस तरह की एकल फसलें फंगस के प्रकोप को झेलने में कमजोर पड़ती हैं।
हाल की पीढ़ियों के फंगीसाइड (फफूंदनाशी) ने उत्पादकों को फसलों के संक्रमणों को दूर करने में मदद जरूर की है लेकिन अभ्ाी भी फंगस प्रजातियांे के सबसे मजबूत निवारक उपायों को भी निष्प्रभावी करने के तरीके खोज रही हैं। कई फंगीसाइड केवल एक कोशिकीय प्रक्रिया को लक्षित करके काम करते हैं जिससे फंगस को प्रतिरोध विकसित करने के लिए जगह मिल जाती है। नए प्रतिरोधी फंगस पर फंगीसाइड कम प्रभाव डालते हैं, जिसकी वजह से परेशान किसान कभी-कभी उसी फंगीसाइड की उच्च मात्रा का उपयोग करते हैं। फसलों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है।
इस समय 8 अरब से अधिक मनुष्य पृथ्वी पर रहते हैं। जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों के कारण इनमें से कई पहले से खाद्य सुरक्षा की कमी का सामना कर रहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ेगी, मानव जाति के समक्ष खाद्य उत्पादन बढ़ाने की चुनौती भी बढ़ेगी। जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार उत्सर्जनों पर अंकुश लगाना एक मुश्किल लक्ष्य है। इसके बावजूद स्थिति को बदतर होने से रोकने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
एक्सेटर विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने नई तकनीकें विकसित की हैं जिनसे फंगस के बहुकोशिकीय तंत्रों को लक्षित करने वाले फंगीसाइड बनाए जा सकते हैं। इससे फंगस के लिए प्रतिरोध विकसित करना कठिन हो जाएगा। रिसर्च से पता चलता है कि इस प्रकार के फंगीसाइड कई प्रमुख रोगाणुओं के खिलाफ काम कर सकते हैं। इनमें कॉर्न स्मट, राइस ब्लास्ट और केले में फ्यूजेरियम विल्ट के लिए जिम्मेदार फंगस शामिल हैं।
रिसर्चरों का कहना है कि बेहतर फंगीसाइड के बिना भी हम फंगस के प्रकोप के जोखिम को कम कर सकते हैं। ऐसा बेहतर कृषि पद्धतियों को अपना कर किया जा सकता है। डेनमार्क में इस तरह की एक परियोजना सफल रही है। डेनिश कृषि वैज्ञानिक आनुवंशिक रूप से विविध बीजों के मिश्रण के प्रयोग से फंगस के संक्रमण रोकने में कामयाब रहे हैं।

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लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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