Funding Freeze हार्वर्ड ने ट्रंप की सख्त शर्तें ठुकराईं, 2.3 अरब डॉलर की फंडिंग रोकी
वाशिंगटन, 15 अप्रैल (एजेंसी)
Funding Freeze अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हार्वर्ड और ट्रंप प्रशासन के बीच टकराव अपने चरम पर पहुंच गया है। हार्वर्ड ने सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप सरकार की उन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें विश्वविद्यालय की नीतियों, नियुक्तियों और शोध विषयों पर सरकार के हस्तक्षेप की बात कही गई थी। जवाबी कार्रवाई में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की 2.3 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग फ्रीज कर दी।
यह कदम उस समय आया जब ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने हार्वर्ड को दी जा रही 9 अरब डॉलर की फेडरल ग्रांट और अनुबंधों की समीक्षा शुरू करने की घोषणा की थी। प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बाद बढ़ी हैं।
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गर्बर ने शिक्षा विभाग की मांगों को 'संवैधानिक स्वतंत्रता के खिलाफ' बताया। उन्होंने कहा, “कोई भी सरकार, चाहे वह किसी भी दल की हो, यह तय नहीं कर सकती कि विश्वविद्यालय क्या पढ़ाएं, किसे नियुक्त करें और किन क्षेत्रों में शोध करें।”
शिक्षा विभाग की मांगें
- सभी संकाय और छात्रों की विचारधारा की जांच हो।
- नियुक्तियां पूरी तरह मेरिट आधारित हों, नस्ल या मूल के आधार पर कोई वरीयता न दी जाए।
- ऐसे छात्रों और स्टाफ का प्रभाव कम किया जाए जो 'एक्टिविज्म को शोध से ऊपर रखते हैं'।
- विदेशी छात्रों की जांच की जाए और नियम तोड़ने वालों की सूचना आव्रजन विभाग को दी जाए।
इस कदम को लेकर हार्वर्ड में असंतोष है। कई प्रोफेसरों ने अदालत में याचिका दायर की है ताकि फंडिंग की समीक्षा प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सके। इसी तरह कोलंबिया यूनिवर्सिटी की 400 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी रोकी गई है।
ट्रंप प्रशासन का पक्ष
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि ट्रंप “हायर एजुकेशन को फिर से महान” बनाने के प्रयास में हैं और यहूदी विरोध जैसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
हालात यह हो गए हैं कि हार्वर्ड अब 750 मिलियन डॉलर का कर्ज वॉल स्ट्रीट से लेने की योजना बना रहा है ताकि फंडिंग रुकने से उत्पन्न वित्तीय संकट से निपटा जा सके।
यह विवाद 2023 में हमास और इजराइल के बीच संघर्ष के बाद अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में हुए फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के चलते शुरू हुआ था। इसके बाद यहूदी संगठनों ने कई विश्वविद्यालयों पर यहूदी विरोधी वातावरण का आरोप लगाया।