कामिका व्रत से कामनाओं को पूर्णता
चेतनादित्य आलोक
सावन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी के व्रत को ‘कामिका एकादशी’ कहा जाता है। इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत 12 जुलाई की शाम 5ः59 बजे से 13 जुलाई की शाम 6ः24 बजे तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि की मान्यतानुसार कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई गुरुवार को किया जायेगा। अन्य एकादशी व्रतों की भांति इसमें भी भगवान श्रीहरि विष्णु की ही आराधना की जाती है।
स्कंद पुराण के अनुसार कामिका एकादशी व्रत रखने तथा विधिपूर्वक पूजा-अर्चना, दान आदि करने एवं भगवान श्रीहरि विष्णु के समक्ष अपनी भूल स्वीकार करते हुए उसे दोबारा नहीं करने का संकल्प लेने पर उसके जीवनभर के संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। यहां तक कि व्यक्ति को ब्रह्महत्या जैसे पाप-कर्म से भी मुक्ति मिल जाती है। सनातनी मान्यता के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत रखकर तथा भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से देवी-देवता, गंधर्व, किन्नर एवं सूर्य आदि सभी प्रसन्न होते हैं। कहते हैं कि श्रद्धापूर्वक इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होने के साथ ही इहलोक में सुख भोगकर अन्त में श्रीविष्णु-लोक को प्राप्त होता है। जो भक्त कामिका एकादशी की रात्रि में भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं, उनके पितृ स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं। इसी प्रकार जो शुद्ध घी अथवा तिल के शुद्ध तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
कामिका एकादशी व्रत को ‘कामदा एकादशी’ एवं ‘पवित्रा एकादशी’ के नामों से भी जाना जाता है। इस व्रत के पावन अवसर पर व्रती द्वारा तीर्थ स्नान करना एवं दान आदि देना विशेष पुण्य फलदायी माना गया है। मान्यतानुसार एकादशी के किसी भी व्रत में चावल एवं इससे बने पकवान खाना पूर्णतया वर्जित होता है। यहां तक कि फलाहार भी केवल दो समय ही किये जाने का विधान है।