कर्मों का फल
एक बार भगवान शिव और पार्वती भ्रमण पर निकले। तालाब के पास उन्होंने देखा कि कुछ बच्चे उस तालाब में तैरने का आनंद ले रहे थे, लेकिन वहां पास एक बच्चा चुपचाप उदास बैठा था। पार्वती जी ने शिव से पूछा, ‘हे महादेव! यह बच्चा उदास क्यों बैठा है?’ शिव जी ने कहा, ‘हे पार्वती! इस बच्चे के दोनों हाथ नहीं हैं। इसलिए यह तैरने का आनंद नहीं ले पा रहा, इसलिए यह उदास है।’ पार्वती ने महादेव से कहा कि आप अपनी शक्ति से इसे दोनों हाथ दे दो। इस पर महादेव ने कहा कि मैं सृष्टि के नियमों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। लेकिन पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर महादेव ने उस बच्चे को दोनों हाथ देने का वरदान दिया। कुछ समय बाद जब शिव-पार्वती वहां से निकले तो उन्होंने देखा कि वो बच्चा तैर रहा था, बाकी बच्चे तालाब से बाहर उदास बैठे थे, पार्वती ने महादेव से पूछा, यह क्या हो रहा है? महादेव ने कहा कि यह बच्चा अपने हाथों का गलत प्रयोग कर रहा है, यह बाकी बच्चों को डुबो रहा है, इसने पिछले जन्मों में भी अपने हाथों द्वारा यही कार्य किया था इसलिए उसके हाथ नहीं थे। हाथ देने से पुनः वह दूसरों की हानि करने लगा है। प्रकृति नियम अनुसार चलती है, किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं। आत्माएं जब ऊपर से नीचे आती हैं तो अच्छी ही होती हैं, लेकिन कर्मों के अनुसार उन्हें प्रतिफल मिलता है। इसलिए कर्मों के अनुसार उसका फल भोगना ही पड़ेगा।
प्रस्तुति : राजेश कुमार चौहान