सेवा से संवेदना तक : 'प्रोजेक्ट सारथी' बना राष्ट्रीय आंदोलन
34 राज्यों के 1,467 अस्पतालों में 6,444 छात्र स्वयंसेवक दे रहे मानवता की मिसाल
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 जून
भीड़ भरे अस्पतालों की लंबी कतारों, परेशान परिजनों और गुमसुम मरीजों के बीच कोई हाथ पकड़कर राह दिखा दे—इसी संवेदना से जन्मा प्रोजेक्ट सारथी अब पूरे देश में सेवा का पर्याय बन चुका है। पीजीआई चंडीगढ़ द्वारा 5 मई को शुरू की गई यह अनूठी पहल अब 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 1,467 अस्पतालों तक फैल चुकी है।

यह परियोजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से ‘सेवा से सीखें’ कार्यक्रम के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसमें छात्र स्वयंसेवकों को मरीजों की सहायता के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा बदल रही है, बल्कि युवाओं में सामाजिक चेतना और करुणा की भावना भी जगा रही है।
रास्ता दिखाना ही नहीं, भरोसा भी देना है : प्रो. विवेक लाल
पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि प्रोजेक्ट सारथी का मकसद सिर्फ मरीजों को अस्पताल के गलियारों में रास्ता दिखाना नहीं है, बल्कि उन्हें यह अहसास कराना है कि वे अकेले नहीं हैं। यह पहल युवा पीढ़ी को सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ती है।
मरीजों के औसत प्रतीक्षा समय घटा : पंकज राय
इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने का श्रेय पीजीआई के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) पंकज राय को जाता है। विदेश दौरे के दौरान उन्हें यह आइडिया आया था जो आज एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है। पंकज राय ने बताया कि अब तक 551 अस्पतालों में इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है और 95 अस्पतालों में यह वर्तमान में जारी है। देशभर में 6,444 छात्र स्वयंसेवक सक्रिय रूप से सेवा दे रहे हैं। अकेले पीजीआईएमईआर में 816 छात्रों ने 50,340 से अधिक सेवा घंटे दिए हैं, जिससे मरीजों के औसत प्रतीक्षा समय में उल्लेखनीय कमी आई है और संतुष्टि स्तर बढ़ा है। इस परियोजना ने अस्पतालों में मरीजों की सहायता को न केवल सुव्यवस्थित किया है, बल्कि युवाओं को सामाजिक सेवा के लिए भी प्रेरित किया है। इस मॉडल को अपनाने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर सहित अन्य प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
जहां युवा बनें ‘सारथी’, वहीं मरीजों को मिले राहत
इस परियोजना को अपनाने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इन अस्पतालों में छात्रों की उपस्थिति ने मरीजों को राहत दी है और स्टाफ पर बोझ भी कम किया है।