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बोल्ड इमेज से मिली मुक्ति

07:25 AM Aug 03, 2024 IST
बोल्ड इमेज से मिली मुक्ति
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असीम चक्रवर्ती
बात ज्यादा पुरानी नहीं है जब फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ की सफलता के बाद बॉलीवुड में अभिनेत्री अदा शर्मा चर्चा में आयीं। इसके बावजूद बॉलीवुड वाले उन पर कुछ मेहरबान नहीं थे। सिर्फ तीन-चार फिल्मों के ऑफर उन्हें मिले। एक-दो वेब सीरीज में भी उन्होंने काम किया। वह इन दिनों सिर्फ एक फिल्म ‘गेम चेंजर’ को लेकर व्यस्त हैं। इससे साफ है कि वे अपनी सफलता का ग्राफ बरकरार नहीं रख पायी हैं।

खुमारी खत्म हुई

अभी जैसे कल की बात है। विवादित सब्जेक्ट पर बनी ‘द केरला स्टोरी’ की वजह से वह सुर्खियों में आयी थीं। तब सब को उम्मीद थी कि उनका लंबा स्ट्रगल अब रंग लाएगा। असल में इसमें अपनी बोल्ड इमेज के विपरीत अदा ने अपनी सहज भाव अभिव्यक्ति से प्रभावित किया था। वरना इससे पहले ज्यादातर फिल्मों में उनकी बोल्डनेस की ही ज्यादा चर्चा होती थी। निश्चित रूप से यह फिल्म उनके लिए एक बड़ा मौका बन कर आई थी। मगर वह इस मौके का पूरा लाभ नहीं उठा सकीं।

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सार्थक प्लानिंग का अभाव

उनके कई करीबी और शुभचिंतक मानते हैं कि अपने कई सालों के संघर्ष से अदा ने कोई सबक नहीं सीखा। कई लोगों का मानना है कि गलत प्लानिंग के चलते वह अच्छी फिल्मों के चयन के मामले में चूक गईं जबकि उन्हें इस मौके को पूरा कैश करना चाहिए था। फिल्मों की संख्या को भी ज्यादा नहीं बढ़ा पाईं। जिसके चलते ‘द केरला स्टोरी’ के बाद रिलीज उनकी फिल्म ‘बस्तर’ को किसी ने नोटिस करना भी जरूरी नहीं समझा। फ्लॉप का ठप्पा लगने में भी देर नहीं लगी।

संभलने की कोशिश

ताजा हाल यह कि अदा अब सतर्क हैं। उत्साह के साथ वह बताती हैं,‘मैं इस समय बहुत कुछ नया कर रही हूं। इन दिनों ‘गेम चेंजर’ की शूटिंग कर रही हूं। यह मेरी ताजा इमेज के बिल्कुल अनुरूप है। इसके अलावा साउथ की अपनी अगली फिल्म में मैं एक महिला सुपर हीरो का रोल कर रही हूं। फिर एक वेब सीरीज भी है। अभी हाल में मुझे टोटल सब्जेक्ट बेस्ड फिल्म के लीड रोल का ऑफर किया गया है। फिलहाल तो मैं मानती हूं कि कई साल बाद बॉलीवुड के हॉट जादू वाली इमेज से मैं मुक्त हुई।’

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बॉलीवुड की उपेक्षा

दबे-छिपे स्वर में वे कबूल करती हैं कि बॉलीवुड का व्यवहार उनके प्रति कभी बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं था। साल 2008 में जब उनकी पहली फिल्म ‘1920’ रिलीज हुई थी, वह मात्र 19 साल की थीं। वह बताती हैं,‘ असल में तब मैं इस बात को अच्छी तरह से समझ ही नहीं पाई थी कि मुझे कैसी फिल्में करनी चाहिए। वैसे भी हॉरर फिल्म में हीरोइन के लिए कम गुंजाइश रहती है। इसके बाद की फिल्मों ने मुझे काफी अलर्ट बना दिया था। बावजूद इसके सही फिल्मों का चयन करने में मुझसे चूक हुई। ऐसे में भला हो 2013 की तेलुगू फिल्म ‘हार्ट अटैक’ का ,जिसने आत्मनिर्भर बना दिया। अब एक बार फिर मैं उस स्थिति से उबरने की कोशिश कर रही हूं।’

साउथ की फिल्मों का बड़ा सहारा

अदा के कैरियर का यह एक सबल पक्ष है कि वह साउथ की फिल्मों को लेकर भी लगातार सक्रिय रहती हैं। वह हंसकर बताती हैं,‘ इसमें कोई बुरी बात नहीं है। जिस भी एक्टर को जहां भी बड़े मौके मिलते हैं,वह वहीं दौड़ा चला जाता है। फिर मैं तो वहीं पली-बढ़ी हूं। वहां तेलुगू की मैंने लगभग आधा दर्जन फिल्मों में काम किया है ,वे सबकी सब हिट थीं। वहां के कई बड़े हीरो और डायरेक्टर के साथ मैंने काम किया है।’

खेल के प्रति रुझान

बातचीत के दौरान वह पेरिस ओलंपिक का अप-डेट भी अपनी मोबाइल के जरिये लेती रहती हैं। कभी वह अच्छी जिम्नास्ट थीं। वह कहती हैं,‘मगर संयोग ने मुझे एक्टर बना दिया। लाइफ में इस तरह के टर्न तो आते ही रहते हैं। मगर इस क्षेत्र में जिम्नास्ट होने के चलते मुझे नृत्य और एक्शन के मामले में काफी लाभ मिला है। मैंने स्कूल की पढ़ाई भले ही पूरी न की हो, कथक में बैचलर डिग्री हासिल की है। यही नहीं, अमेरिका जाकर जैज डांस का चार महीने का कोर्स भी किया है। चित्र :लेखक

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