For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

कलियां नू आजाद करा दे, मुफलिसी दा रोग मुका दे

06:40 AM May 28, 2024 IST
कलियां नू आजाद करा दे  मुफलिसी दा रोग मुका दे
Advertisement

अम्बाला शहर, 27 मई (हप्र)
भावांजलि कला एवं साहित्य मंच द्वारा मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें अम्बाला शहर और छावनी के कवियों ने शिरकत की। अध्यक्षता गोष्ठी में मौजूद सबसे सीनियर हंसराज माही की रही और मुख्यातिथि के रूप में कवि व लेखक सुदर्शन गासो मौजूद रहे। मंच के सदस्यों के साथ-साथ भारत भूषण, परवीन खिप्पल, रचना बनमाली, सुरेंद्र, आकाश और मण्डावर से अकीमुद्दीन की विशेष उपस्थिति रही। सुदर्शन गासो ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। मंच की संस्थापक अंजलि सिफर ने बताया कि हर माह होने वाली गोष्ठी में अम्बाला और आसपास के नए और स्थापित कवि भागीदारी करते हैं। ओम बनमाली ने राजनीति पर कटाक्ष करते हुए अपने भाव यूं रखे- पांच साल के बाद जब जब चुनाव का मौसम आता है, नेताओं को तेजी से रंग पलटते देख बेचारा गिरगिट भी शरमा जाला है। डॉ. किरण जैन के भाव यूं रहे, रूह का भी आप कुछ तो कीजिए सिर्फ तन की चांदनी अच्छी नहीं। नीरजा जायसवाल ने धार्मिक आस्थाओं को उकेरते हुए कविता पढ़ी। इसी प्रकार जगमाल सिंह बोले- जब आंख में ही तेरी मुरव्वत नहीं रही। जीने की फिर हमें भी वो चाहत नहीं रही। आकाश राकेश ने अपने भाव यूं व्यक्त किए- छत पे बिछा दी चांद की रोशनी, है कसम तुम्हें चले आओ। परवीन खिप्पल यूं बोले- शायरी शुअरी मैं की जानां, मैं निरा अनजान, विच पंजाबी करा मैं गल्लां, समझा अपना मान। अंजलि सिफर ने रिश्तों पर चोट करते हुए कहा- उधड़े जो मेरे जखम तो काम आ गया नमक, बैठे थे कितने दोस्त इसी इंतजार में। अकिमुद्दीन मंडावरी, मनीषा नारायणा ने भी रचनाएं पढ़ीं। मुख्यातिथि सुदर्शन गासो ने आज के हालातों से दुखी होकर अपने भाव यूं व्यक्त किए- कलियां नू आजाद करा दे, मुफलिसी दा रोग मुका दे, गा दे गीत नया कोई गा दे, कवि कोई नवीं तान सुना दे।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×