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मुफ्त का चंदन और भीख की सीख

06:29 AM Aug 23, 2024 IST
मुफ्त का चंदन और भीख की सीख

केदार शर्मा

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नत्थू ने दिन में देखे अपने सपने में एक दिन देखा कि भिखारियों का नेता भाई भीखूमल भिखारी किसी महारैली में भिखारियों को संबोधित कर रहे थे—‘दुनिया के भिखारियों एक हो जाओ! सरकार ने तुम्हारा रोजगार छीनकर कई शहरों को भिखारीमुक्त बनाने की योजना बनाई है। तुम इसके विरोध में उतर भी जाओगे तो खोने के लिए तुम्हारे पास क्या है? परन्तु अगर कटोरा सुरक्षित रहा तो भीख मांगने के लिए तुम्हारे पास सारा जहान है। हमें हर हाल में हमारा यह कटोरा बचाना है, कटोरा बच गया तो समझो भीख मांगने की समृद्ध परम्परा बच गई। परम्परा बच गई तो हमारा भविष्य बच गया।’
भीखूमल ने कहना जारी रखा—साथियो, हमारे पेशे में अनेक छद्म भिखारी आ गए हैं जिससे हमारी पहचान खोती जा रही है। अब भिखारियों की भी कई श्रेणियां बनती जा रही हैं यथा-सामाजिक, राजनीतिक, सरकारी और पारिवारिक इत्यादि। चंदा, चुनावी बॉन्ड, सहयोग राशि दान, भंडारे और रेवडि़यों के नाम से खूब भीख का लेन-देन होता है। पर इन सबकी सम्मानित श्रेणियों में गिनती है। भिखारियों को पग-पग पर अपमान झेलना पड़ता है पर उनको पल-पल सम्मान मिलता है। अमेरिका के अंकल सेम से जाकर पूछो तो पता चलेगा बहुत से राष्ट्र तक भीख मांगते हैं, पर कोई निंदा नहीं करता है।
हम कटोरे में भीख लेते हैं उनकी भीख सीधे बैंक खातों में आ जाती है। अभी कल ही की तो बात है नत्थू के घर पांच आदमी चले आए। बोले, ‘चंदा चाहिए। भिखारी कल्याण समिति ने जन्माष्टमी के अवसर पर भिखारियों को भोजन कराने की योजना बनाई है। आपको भी आना है।’ नत्थू चंदा नहीं देने के परिणाम जानता था, सो प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए चंदा देना ही पड़ा। वह आयोजन स्थल पर पहुंचा।
मैंने भिखारी कल्याण समिति के अध्यक्ष से पूछा, ‘इस भंडारे में कितने भिखारियों ने भोजन कर लिया है?’ उन्होंने कहा, ‘भिखारी तो सौ थे बाकी सवा सौ तो आयोजन समिति के सदस्य, कार्यकारिणी के सदस्य आमंत्रित अतिथि और कुछ आप जैसे चंदा देने वाले थे।’ नत्थू ने कहा आप नाराज न हों तो मैं अपनी बात कहूं? आश्वासन पाकर नत्थू ने स्पष्ट किया कि महाशय, मेरी मान्यता है कि अब चाहे सरकार खिलाती हो या संस्था जो भी मुफ्त में बिना कुछ प्रतिदान दिये कुछ भी खाता है, वह सब भीख की श्रेणी में आना चाहिए। इस विचार से तो चंदा देने वालों के अतिरिक्त सभी की गणना भिखारियों में कर लें तो तर्कसंगत रहेगा। भिखारी-भिखारी भाई-भाई।

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