मुफ्त के वादे... सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सियासी इरादे
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुफ्त की सौगातें और सामाजिक कल्याण की योजनाएं दो अलग-अलग चीजें हैं तथा अर्थव्यवस्था को पैसे के नुकसान एवं कल्याणकारी कदमों के बीच संतुलन कायम करना होगा। साथ ही न्यायालय ने मुफ्त सौगातें देने का वादा करने के लिए राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने की संभावना से भी इनकार किया।
न्यायालय ने विभिन्न पक्षों को 17 अगस्त से पहले इस पहलू पर सुझाव देने को कहा है। चीफ जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का विचार ‘अलोकतांत्रिक’ है। चुनावी प्रक्रिया के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन वह इस संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर भी विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे।
पीठ ने कहा कि आप मुझे अनिच्छुक या परंपरावादी कह सकते हैं लेकिन मैं विधायी क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहता… मैं रूढ़िवादी हूं। चीफ जस्टिस 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की ओर से कुछ सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने शेष पक्षों से उनकी सेवानिवृत्ति से पहले आवश्यक कदम उठाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की।