कविताओं में खुशियों के सूत्र
सुदर्शन गासो
डाॅ. प्रद्युम्न भल्ला का नाम हरियाणा के साहित्यकारों में शुमार किया जाता है। कवि ने कहानी व कविता लेखन सहित विभिन्न विधाओं में बाईस पुस्तकें दी हैं। उन्हें कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। वे साहित्य लेखन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं में भी सक्रिय रहते हैं। कवि ने इस संग्रह की अपनी कविताओं को लघुकविताओं का नाम दिया है। इस तरह कुल दस मुख्य विषय लेकर आगे उनके अंतर्गत छोटी-छोटी रचनाएं दी हैं।
कवि ने जीवन में खुशियों को प्राप्त करने का हुनर बताने का प्रयास करते हुए, पाठक को छोटे-छोटे सूत्रों से अवगत करवाया है :-
जीवन में कदम-कदम पर बिखरी होती हैं खुशियां
काश! हम सीख पाएं इन्हें बटोरने की कला
ना समेट पाया जो उसी ने हाथ मला।
मानवीय प्रेम व संबंधों का वर्णन करते हुए कवि छोटे-छोटे प्रभावों व अनुभवों को गहरे अर्थ प्रदान करने की फिराक में रहता है। जीवन के विभिन्न अनुभवों को कवि ने बहुत ही असरदार ढंग से बयान किया है।
जीवन की खुशियों को खोजने की फिराक में कवि जीवन रहस्यों के उद्घाटन में लीन नज़र आता है। कवि प्रकृति के कण-कण में छिपे प्रभु के बारे में भी इशारा करना नहीं भूलता। वह लिखता है :-
हमारी खोज उस के लिए है
जो कभी खोया ही नहीं
ढूंढ़ रहे हैं उसे जो कहीं गया ही नहीं।
इन कविताओं में कवि का आशावादी दृष्टिकोण है।
पुस्तक : धुंध होते सम्बन्ध कवि : डॉ. प्रद्युम्न भल्ला प्रकाशक : साहित्य कलश पब्लिकेशन, पटियाला पृष्ठ : 108 मूल्य : रु. 200.