फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व एसएचओ सहित 3 कर्मी दोषी करार
मोहाली, 23 दिसंबर (हप्र)
1992 में दो युवकों को अगवा करके झूठे पुलिस मुकाबले में मारने और लाश को अज्ञात बताकर संस्कार करने के मामले में सीबीआई अदालत ने पूर्व एसएचओ सहित तीन पुलिस मुलाजिमों को दोषी करार दिया है। आरोपियों को मंगलवार को सजा सुनाई जाएगी। यह मामला सीबीआई की स्पेशल जज राकेश गुप्ता की अदालत में विचाराधीन था। अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के उपरांत उस समय के थाना सिटी तरनतारन इंचार्ज रहे गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह और पुलिस कर्मचारी हंसराज सिंह को धारा 302 व 120बी में दोषी करार दिया है। अदालत ने तीनों दोषियों को हिरासत में लेकर जेल भेजने के निर्देश जारी किए हैं। सीबीआई अदालत तीनों दोषियों को मंगलवार को सजा सुनाएगी। इस मामले में ट्रॉयल के दौरान आरोपी पुलिस मुलाजिम अर्जुन सिंह की दिसंबर 2021 में मौत हो गई थी और उसके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई थी।
सीबीआई की ओर से अदालत में दायर की गई चार्जशीट के अनुसार जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को एसएचओ गुरबचन सिंह की अगुवाई में पुलिस पार्टी ने अगवा कर लिया था। अगवा करने से पहले पुलिस ने घर में गोली चलाई और गोली लगने के कारण मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई थी। यह घटना 18 नवंबर 1992 की है। इस तरह गुरनाम सिंह उर्फ पाली को एसएचओ गुरबचन सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उसके घर से अगवा किया था। गुरनाम सिंह उर्फ पाली व जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी ने झूठे मुकाबले में मार दिया था। इस संबंधी पंजाब पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि एसएचओ गुरबचन सिंह सहित उनकी पुलिस पार्टी ने 30 नवंबर 1992 की सुबह को गश्त करते हुए एक युवक को गाड़ी में घूमते हुए देखा और नूर की अड्डा तरनतारन के नजदीक उक्त युवक को संदिग्ध परिस्थितियों में काबू किया गया। युवक ने अपनी पहचान गुरनाम सिंह उर्फ पाली के तौर पर की। पूछताछ के दौरान उसने रेवले रोड टीटी और दर्शन सिंह के प्रोवीजन स्टोर में हैंड ग्रेनेड फैंकने की बात कबूल की। पुलिस गुरनाम सिंह पाली को बेहला बाग में कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और गोला बारूद की बरामदगी के लिए लाया तो बाग के अंदर आतंकियों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग कर दी। पुलिस फोर्स ने जवाबी कार्रवाई की। गुरनाम सिंह उर्फ पाली बचने की नियत के साथ आने वाली गोलियों की दिशा में भागा पर क्रास फायरिंग में गोली लगने से उसकी मौत हो गई।
उक्त एफआईआर में दिखाया गया कि बाग की तलाशी लेने पर जगदीप सिंह उर्फ मक्खन के तौर पर पहचान किए गए आतंकी की लाश भी बरामद हुई, जो पुलिस पार्टी पर हमला करने वाली टीम में शामिल था। दोनों के शवों का संस्कार शमशानघाट में लावारिस कह कर किया गया। मृतक जगदीप सिंह मक्खन पंजाब पुलिस में सिपाही था और मृतक गुरनाम सिंह पाली पंजाब पुलिस में एसपीओ था।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दिए थे निर्देश
सीबीआई की ओर से अदालत में दायर चार्जशीट में बताया गया कि उक्त पुलिस पार्टी ने वर्ष 1992 दौरान थाना तरनतारन के एरिया में उस समय के थाना सिटी गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह, हंस राज सिंह और अर्जुन सिंह के साथ मिलकर दो आपराधिक साजिश रचीं और गैर कानूनी कार्रवाई की। सीबीआई ने शुरु में मामला दर्ज कर प्रीतम सिंह, मसीत वाली गली नूर की बाजार के बयान दर्ज किए थे। इसके बाद सीबीआई ने 27 फरवरी 1997 को गुरबचन सिंह व अन्य के खिलाफ धारा 364, 302, 34 के तहत मामला दर्ज किया और जांच पूरी होने के बाद गुरबचन सिंह व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने अज्ञात शव बताकर संस्कार करने के मामले में जांच के निर्देश दिए थे।