नामी पहलवान रहे रेलवे के पूर्व टीटीई की बेरहमी से हत्या
सोनीपत, 13 अप्रैल (हप्र)
गन्नौर के गांव पुरखास धीरान में रेलवे के उत्तर रेलवे के पूर्व टीटीई एवं नामी पहलवान की ईंटों से हमला कर बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनका शव गांव में जोहड़ के निकट पंचायती जमीन पर खाली प्लाट में बनी झोपड़ी में मिला है। सूचना के बाद गन्नौर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सतेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल भिजवा दिया।
पुलिस ने उनके छोटे भाई के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
मूलरूप से गांव पुरखास धीरान निवासी सुभाष ने बताया कि वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ दिल्ली में रहते हैं। उनके बड़े भाई अविवाहित यशबीर (45 वर्ष) गांव में अकेले रहते थे।
शनिवार को सुबह उन्हें सूचना मिली कि उनके भाई यशबीर की हत्या कर दी गई। वह मौके पर पहुंचे तो देखा कि उनके भाई का शव पंचायती जमीन पर बनी झोपड़ी में चारपाई पर पड़ा था। सुभाष का आरोप है कि अज्ञात ने उनके भाई की हत्या की है। पुलिस ने शिकायत पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
सिर पर चोट के गहरे निशान मिले
एसीपी गोरखपाल राणा ने बताया कि यशबीर के माथे, दाहिने कान और हाथ पर चोट के गहने निशान मिले हैं। पुलिस टीम को शराब की खाली बोतलें, गिलास व पानी की बोतल भी मिली है। पुलिस को मौके पर खून से सनी ईंट भी मिली, जिसके आधार पर पुलिस को प्रथम दृष्यटया घटनास्थल पर कुछ लोगों के शराब पीने और इसके बाद झगड़ा होने पर यशबीर पर हमला किया गया है। पुलिस मामले का जल्द पटाक्षेप करेगी।
दो भाइयों में बड़ा था, माता-पिता का हो चुका निधन
यशबीर का एक छोटा भाई सुभाष है। यशबीर महज 8 वर्ष का था जब उनके माता-पिता का निधन हो गया था। दोनों भाई अपने ताऊ-ताई के पास रहने लगे थे। सुभाष बाद में घर से चला गया था।
वह दिल्ली में टैक्सी के कारोबार से जुड़ गया। यशबीर ने पहलवानी में कई कुश्ती जीतकर खूब नाम कमाया था।
वह उत्तर रेलवे में टीटीई के पद पर रहे। बाद में नौकरी छोड़कर गांव आ गए थे।
पेशेवर पहलवान था यशबीर
ग्रामीणों ने बताया कि यशबीर पेशेवर पहलवान था। पहलवानी में उन्होंने खूब नाम कमाया था। पहलवानी के आधार पर उसे रेलवे में टीटीई की नौकरी भी मिली, लेकिन बाद में यशबीर को नौकरी छोड़ दी थी। नौकरी छोड़नेे के बाद वह शराब पीने का आदी हो गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक 45 साल के यशबीर की शादी भी नहीं हुई। वह गांव में ही काम कर अपना गुजारा चलाता था।