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हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार, सामान्य श्रेणी की टॉपर को 5 साल सश्रम कैद

08:05 AM Aug 23, 2024 IST
हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार  सामान्य श्रेणी की टॉपर को 5 साल सश्रम कैद
भरतेश सिंह ठाकुर/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली/चंडीगढ़, 22 अगस्त
वर्ष 2017 के हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक) प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार (भर्ती) बलविंदर कुमार शर्मा और सामान्य श्रेणी में टॉप करने वाली उनकी सहयोगी सुनीता को पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। शर्मा पर 1.5 लाख और सुनीता पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आरक्षित श्रेणी में टॉप करने वाली अभ्यर्थी सुशीला को भी दोषी ठहराते हुए कारावास की सजा सुनाई गई, जिसे वह मुकदमे के दौरान पहले ही भुगत चुकी हैं। उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। बाकी छह आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
एचसीएस (न्यायिक शाखा) के 109 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा 16 जुलाई, 2017 को आयोजित की गई थी। अगस्त 2017 में एक अभ्यर्थी सुमन ने पेपर लीक होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने पंचकूला निवासी सुशीला और दिल्ली निवासी सुनीता की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग पेश की, जिसमें उन्होंने पेपर 1.5 करोड़ रुपये में बेचने की पेशकश की और बातचीत के बाद 10 लाख रुपये में बात तय हुई। परीक्षा से एक दिन पहले 15 जुलाई, 2017 को चंडीगढ़ के सेक्टर-17 स्थित एक रेस्टोरेंट में तीनों की मुलाकात हुई।
हाईकोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार (सतर्कता) अरुण कुमार त्यागी ने 29 अगस्त, 2017 को जांच रिपोर्ट के जरिए पुष्टि की थी कि बलविंदर शर्मा के पास प्रश्नपत्र सेट होने से लेकर परीक्षा आयोजित होने तक मौजूद थे। यह भी पाया गया कि सुनीता और सुशीला के पास परीक्षा से पहले पेपर की एक प्रति थी। हाईकोर्ट ने 10 सितंबर, 2017 को पेपर रद्द करने का आदेश दिया था। इसके बाद 15 सितंबर को हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने और शर्मा को निलंबित करने का निर्देश दिया था।

दोनों में थे ‘घनिष्ठ संबंध’

चंडीगढ़ पुलिस की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सुनीता ने एक औसत छात्रा होने के बावजूद सामान्य वर्ग में टॉप किया था, दूसरी बात यह कि उसने कभी कोई प्रतियोगी परीक्षा पास नहीं की थी। पुलिस को पता चला कि वह शर्मा के साथ ‘घनिष्ठ संबंध’ और ‘लगातार संपर्क’ में थी। दोनों के बीच लगभग 726 वॉयस कॉल/ एसएमएस थे और कुछ कॉल की अवधि लगभग 1,800 सेकंड या उससे अधिक थी।
मोबाइल कॉल्स, लोकेशंस तथा यात्री निवास के रिकॉर्ड के माध्यम से अभियोजन पक्ष ने सुनीता और बलविंदर कुमार शर्मा की निकटता साबित की है। यह परिस्थिति अपने आप में आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित कर रही है।
-राउज एवेन्यू कोर्ट की प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना
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