पारदर्शी चयन हेतु
ऐसे समय में जब नौकरियों से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल तथा पेपर लीक जैसी धांधलियों की खबरें अकसर आती हैं केंद्र सरकार द्वारा द्वारा लाया गया लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम है। निश्चित रूप से एक जटिल समस्या पर नियंत्रण करने की सार्थक पहल हुई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। अच्छी बात यह है कि इस विधेयक को पारित करने के दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष का जो रचनात्मक प्रतिसाद रहा, वह उम्मीद जगाता है कि राज्यसभा में भी यह विधेयक आसानी से पारित हो सकेगा। निश्चित रूप से यह कदम उन लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ न्याय होगा, जो वर्षों की मेहनत से प्रतियोगिता परीक्षाएं देते हैं और किसी धांधली की खबरों के कारण परीक्षाएं स्थगित कर दी जाती रही हैं। इस विधेयक में नकल व अन्य अनुचित तौर-तरीके अपनाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत सुनियोजित तरीके से नकल कराने व पेपर लीक कराने के दोषियों को दस साल की सजा और एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। निस्संदेह, लोकपरीक्षा ( अनुचित साधन रोकथाम) विधेयक 2024 को लेकर उम्मीद जगी है कि अब परीक्षार्थियों को किसी भी तरह की धांधली का खमियाजा नहीं भुगतना पड़ेगा। हाल के वर्षों में कई राज्यों से खबरें आई कि सरकारी नियुक्तियों के लिये आयोजित परीक्षाओं में व्यापक पैमाने पर चतुर-चालाक लोगों द्वारा धांधली की गई। पिछले दिनों हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान परीक्षाओं में धांधली का मुद्दा जोरशोर से उछला भी था। निश्चित रूप से पेपरों का लीक होना उन लाखों परीक्षार्थियों के साथ सरासर अन्याय था जो श्रमसाध्य तरीके से इन परीक्षाओं में भविष्य तलाशते थे। लेकिन धांधली के बाद ये परीक्षाएं स्थगित हो जाती थी। जिससे इन प्रतियोगियों की मेहनत, तैयारी में लगा पैसा व समय बर्बाद हो जाता था। परीक्षाएं टलने से कई प्रतियोगियों की तो निर्धारित उम्र तक निकल जाती थी।
दरअसल, पिछले दिनों कई राज्यों में जूनियर क्लर्क, शिक्षक चयन परीक्षा, पुलिस भर्ती परीक्षा, समूह डी पद व शिक्षक पात्रता परीक्षा में धांधली के मामले प्रकाश में आए थे। जाहिर है इतने बड़े व गोपनीय सिस्टम से पेपर निकालने में किसी सुनियोजित ढंग से काम करने वाले गिरोह का ही हाथ हो सकता है। वहीं परीक्षा आयोजन से जुड़े कुछ लोगों की संदिग्ध भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। आधुनिक तकनीक ऐसे घोटालों में शातिरों के लिये मददगार साबित हो रही थी, जो कम समय में आउट किये पेपरों को पूरे देश में फैला देते हैं। कई जगह कुछ कोचिंग सेंटरों की भी संदिग्ध भूमिका नजर आई है, जो परीक्षा आयोजित करने वाली व्यवस्था में सेंध लगाने में कामयाब हो जाते हैं। निस्संदेह, सरकार की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन सजा के कड़े प्रावधानों को देखते हुए कोशिश हो कि किसी साजिश के तहत निर्दोष लोग इसकी चपेट में न आ पाएं। हालांकि, केंद्र सरकार की तरफ से कोशिश हुई है कि परीक्षार्थियों को नये प्रावधानों से नुकसान न हो, फिर भी कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि देश में सरकारी सेवाओं के प्रति युवाओं में बड़ा सम्मोहन है। खासकर सुरक्षित नौकरी की चाह कोरोना संकट ने और बढ़ायी है। यही वजह है कि सिमटती नौकरियों व बढ़ते बेरोजगारों के चलते परीक्षा में सफलता में प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है। जिसका लाभ बिचौलिए परीक्षार्थियों को प्रलोभन देकर उठाते हैं। नये विधेयक के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि इससे परीक्षा व्यवस्था के प्रति परीक्षार्थियों का भरोसा बढ़ेगा। यह उल्लेखनीय है कि ये विधेयक कानून बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली केंद्रीय परीक्षाओं के आयोजन पर लागू होगा। विश्वास किया जाना चाहिए कि हाल के दिनों में कई राज्यों में पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकारों की जवाबदेही तय की जाए। कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ध्यान रखना होगा कि विधेयक के कानून बनने पर इसके दुरुपयोग की संभावना न रहे।