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40 वर्षों में पहली बार बंसीलाल परिवार चुनाव से बाहर!

08:42 AM Apr 27, 2024 IST
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किरण ने आज भिवानी में बुलाई समर्थकों की बैठक, ले सकती हैं बड़ा फैसला

अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 26 अप्रैल
पूर्व सीएम स्व़ चौ़ बंसीलाल का गढ़ कहे जाने वाले भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट में इस बार सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। पिछले चालीस वर्षों में यह पहला मौका होगा, जब बंसीलाल परिवार लोकसभा चुनाव से बाहर होगा। बंसीलाल की पोती और पूर्व मंत्री व तोशाम से विधायक किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की टिकट काटकर कांग्रेस ने इस बार महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह को दी है। इससे किरण व श्रुति चौधरी के समर्थकों में भारी रोष है। टिकट कटने के बाद अब शनिवार को किरण चौधरी ने भिवानी में समर्थकों की बैठक बुलाई है। इसमें वे कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं। हालांकि अाधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि श्रुति की टिकट कटने के बाद किरण का रूख क्या रहने वाला है। इतना जरूर है कि कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह की इस संसदीय सीट पर किरण चौधरी के समर्थन के बगैर राहें आसान नहीं रहने वाली। ऐसे में बहुत संभव है कि राव दान सिंह चुनावी रण में आने से पहले किरण के साथ ‘समझौता’ करने की कोशिश करें।
पहली बार इस क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक राव दान सिंह को चुनाव में उतारना हुड्डा के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं रहने वाला। खासतौर पर दो बार यहां से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत चुके धर्मबीर सिंह जब तीसरी बार मैदान में उतरे हैं तो ऐसे में कांग्रेस पार्टी को भी यहां खूब पसीना बहाना पड़ेगा। यूं तो चौधरी बंसीलाल का परिवार हरियाणा के वर्ष 1966 में गठन के बाद से यहां की राजनीति के केंद्र में रहा है, लेकिन 1972 के परिसीमन के बाद भिवानी को भी संसदीय क्षेत्र बना दिया गया।
बंसीलाल ने भिवानी से चार बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और वे एक चुनाव हारे व तीन बार चुनाव जीते। उनकी पोती श्रुति ने भिवानी से तीन बार चुनाव लड़ा। एक बार श्रुति जीती और दो बार हारीं। तीन बार चौधरी बंसीलाल की हविपा के उम्मीदवार यहां से चुनाव जीते। दो बार बंसीलाल के पुत्र स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह व एक बार बंसीलाल समर्थक रहे जंगबीर सिंह भिवानी से सांसद रहे। कुल 13 चुनावों में से सात बार बंसीलाल अथवा उनके परिजन यहां से चुनाव जीतते आए हैं।
आपातकाल हटने के बाद 1977 में बंसीलाल भिवानी संसदीय सीट के पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के यहां से उम्मीदवार बने। यह चुनाव भिवानी संसदीय सीट का पहला चुनाव था और बंसीलाल परिवार का भी यह पहला संसदीय चुनाव था। इस चुनाव चौधरी बंसीलाल को राजनीति में एकदम से नई नेता चंद्रावती के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। 1980 में जनता पार्टी की सरकार भंग होने के बाद बंसीलाल एक बार फिर से यहां से चुनाव में उतरे और विजयी रहे।
उन्होंने जनता पार्टी के बलवंत राय तायल को पराजित किया। 1984 में कांग्रेस की लहर के चलते चौधरी बंसीलाल ने यहां जनता पार्टी के जयनारायण वर्मा को हराया। 1987 में बंसीलाल ने अपने परिजन एडवोकेट दयानंद को कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतारा लेकिन वे हार गए। 1989 में बंसीलाल फिर से कांग्रेस की टिकट पर यहां से चुनाव जीत गए। 1991 में चौधरी जंगबीर सिंह, 1996 में चौधरी सुरेंद्र सिंह और 1998 में फिर सुरेंद्र सिंह चौधरी बंसीलाल की हविपा की टिकट पर यहां से चुनाव जीत गए।
1999 में चौधरी देवीलाल परिवार से आए अजय चौटाला चुनाव जीते और हविपा के सुरेंद्र सिंह को पराजित किया। वर्ष 2004 के चुनाव में चौधरी भजनलाल परिवार की भिवानी में एंट्री हुई और कुलदीप बिश्नोई ने सुरेंद्र सिंह व अजय चौटाला दोनों को चुनाव में शिकस्त दी। 2005 में परिसीमन होने के बाद भिवानी संसदीय क्षेत्र का नाम भिवानी-महेंद्रगढ़ कर दिया गया। बंसीलाल की पोती श्रुति ने 2009 में अजय चौटाला को हराकर कांगेस की टिकट पर चुनाव जीता। श्रुति चौधरी को 2014 और 2019 दोनों चुनाव में हार का सामना
करना पड़ा।

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हैट्रिक के लिए मैदान में उतरे धर्मबीर सिंह

भाजपा ने भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से पहले ही चौधरी बंसीलाल के धुर विरोधी रहे धर्मबीर को टिकट दे दिया है। धर्मबीर सिंह यहां से भाजपा टिकट पर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में डटे हैं। कई दिन तक कांग्रेस टिकट की जद्दोजहद के बाद पार्टी ने इस बार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बंसीलाल परिवार अथवा उनके समर्थक की बजाय अहीरवाल के नेता राव दान सिंह को मैदान में उतारा है।

नकार नहीं सकते परिवार के प्रभाव को

बंसीलाल परिवार यहां से टिकट चाहे नहीं मिली लेकिन परिवार का भिवानी व चरखी दादरी जिलों में प्रभाव भिवानी-महेंद्रगढ़ के चुनाव को सीधे तौर पर प्रभावित जरूर करेगा। ऐसे में सभी की निगाहें अब चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी के रुख पर टिकी हैं। चुनाव में उनका रुख न केवल लोकसभा चुनाव को बल्कि उनकी खुद की आगामी विधानसभा चुनाव में स्थिति को भी प्रभावित करेगा। ऐसे में भिवानी में 40 वर्षोँ तक राजनीति का केंद्र बिंदु रहे बंसीलाल परिवार को लेकर अटकलों का दौर भी तेजी पकड़ गया है। भिवानी-महेंद्रगढ़ का चुनाव भी सभी के लिए उत्सुकता का विषय रहेगा।

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