खानपान भी करे सर्दी से बचाव
दिसम्बर-जनवरी में नीचे गिरता तापमान और ठंडी हवाएं किसी के भी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं,खासकर बच्चों की सेहत को। ठंड के प्रकोप से बच्चों की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है,जिससे उनमें रोगाणुओं से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों के मौसम में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, बुखार,फ्लू, वायरल डायरिया, त्वचा की बीमारियां बच्चों की आम समस्याए हैं। शीत ऋतु में कुछ सावधानियां बरतने से बच्चों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है।
स्वच्छता की प्रेरणा
सर्दियों के दिनों में अक्सर ही बच्चे ठंडे पानी में हाथ धोने को टालते हैं और बिना हाथ धोये ही भोजन करने लगते हैं। इससे आहार नलिका में संक्रमण हो सकता है। ऐसे में नियमित रूप से उनके हाथ हल्के गर्म पानी से धुलवाने चाहिए। विशेषकर खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद या किसी दूषित वस्तु को छूने के बाद शिशु के हाथों को साबुन से धोना सुनिश्चित कर लें।
ठंड से बचाव
ठंडे तापमान का बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सर्दियों में पहने जाने वाले ऊनी कपड़े त्वचा के संपर्क में नहीं होने चाहिए क्योंकि यह काफी घर्षण पैदा कर सकते हैं। ऊनी कपड़ों के संपर्क से उनकी संवेदनशील त्वचा पर चकत्ते और एक्जिमा जैसे जोखिम हो सकते हैं। त्वचा और ऊनी कपड़ों के बीच सूती कपड़े पहनाने चाहिए। वहीं बाहर जाते समय सुनिश्चित करें कि बच्चों के हाथ और पैर दस्ताने व मोज़े से ढके हों। सिर को ठंड से बचाने के लिए मंकी कैप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
उचित हो कमरे का तापमान
कमरे का तापमान बच्चे के लिए आरामदायक होना चाहिए। यह न बहुत अधिक गर्म हो न बहुत ठंडा। तापमान को नियंत्रित करने के लिए कृत्रिम ताप उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु हीटिंग उपकरणों को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। रात भर हीटर का उपयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि कमरा ज्यादा गर्म होने से नासिका मार्ग शुष्क हो जाता है।
नहाना
सर्दियों के मौसम में बच्चे को थोड़ी देर के लिए नहाने के लिए प्रेरित करें। अधिक देर तक नहाने से ठंड लगने का खतरा रहता है। गुनगुने पानी का प्रयोग करें। गर्म पानी त्वचा के लिए हानिकारक है, क्योंकि यह त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर देता है। अगर मौसम बहुत ठंडा नहीं है तो बच्चे को हर दिन नहलाएं। परन्तु यदि तापमान बहुत कम हो, तो एक-दो दिन छोड़ कर नहलाना चाहिए। नहलाया नहीं जाता तो उसके बदन को गीले स्पंज से साफ कर सकते हैं।
त्वचा की देखभाल
सर्दियों के दौरान शुष्क वातावरण के कारण आपके बच्चे को खुजली व त्वचा शुष्क हो सकती है। स्किन स्वस्थ बनाए रखने के लिए शिशु को जैतून या सरसों के तेल की मालिश करें। सर्दियों में नारियल के तेल की मालिश न करें। इससे त्वचा में शुष्कता आती है। बहुत छोटे बच्चे को सरसों के तेल की मालिश करने से बचें। मालिश का तेल रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। बच्चे को अच्छी नींद आती है, हड्डियां मजबूत होती हैं।
पानी खूब पिलाएं
सर्दियों में वातावरण शुष्क रहता है। ऐसे में हमारे सिस्टम का हाइड्रेटेड रहना बहुत महत्वपूर्ण है। सर्दियों में प्यास भी कम लगती है,जिसके कारण बहुत बार बच्चे डिहाइड्रेटिड रहते हैं। अतः प्रतिदिन बच्चों को आवश्यक मात्रा में पानी पीने के लिए प्रेरित करें।
भोजन
बच्चों को सर्दियों में कड़ुवे, तीखे, कसैले, वातवर्धक, ठंडे भोजन एवं ठंडे पेय पदार्थों से दूर रखें। शरीर में गर्मी बनी रहे, इसके लिए हल्का गर्म पानी या वेजिटेबल सूप पिलाएं। सर्दियों में दूध से बने पदार्थ जैसे घी, रबड़ी, मलाई, गुड़ आदि उचित मात्रा में दिये जा सकते हैं। तेल और चावलों से निर्मित खाद्य पदार्थ भी खाए जा सकते हैं। प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर फाइबर युक्त संतुलित आहार खिलाएं। सूखे मेवे शामिल करें। ताजे मौसमी फलों जैसे संतरे, स्ट्रॉबेरी, आंवला, पपीता,अमरूद कीवी आदि को शामिल करें। इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। साथ ही साबुत अनाज, दालें,चुकंदर, गाजर और विटामिन सी का सेवन करायें।
खांसी के वक्त शिष्टाचार
सर्दियों के मौसम में बच्चों में खांसी, छींकने की समस्या आम है। जिससे ड्रॉपलेट संक्रमण एक बच्चे से दूसरे बच्चे को संक्रमित कर सकता है। इसलिए अपने बच्चों को ‘खांसी शिष्टाचार’ सिखाएं। 'अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स' बच्चों को खांसते या छीकते समय अपना सिर घुमाने और डिस्पोजेबल टिशू या अपनी कोहनी के अंदर खांसने या छींकने की सीख देने की सिफारिश करती है।
सन बाथ
सर्दियों में सूर्य की किरणें क्षीण पड़ जाती हैं,जिससे बच्चों के शरीर में विटामिन डी की अल्पता होने की संभावना रहती है। विटामिन डी की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए बच्चों को कुछ देर धूप में बैठा कर तेल मालिश करना लाभकारी होता है। सर्दियों में फिट रहने के लिए शारीरिक व्यायाम बहुत आवश्यक है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। जिससे शीत ऋतु की आम बीमारियों से बचाव होता है।