फूल-सी बेटियां बनीं सुरक्षा की फौलादी दीवार
अरुण नैथानी
चंडीगढ़, 28 सितंबर
यहां से 27 किलोमीटर दूर स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के प्रशिक्षण केंद्र भानु के ड्रिल ग्राउंड में अभी सूरज की रश्मियों ने थिरकना शुरू किया ही था, तभी कलफ लगी पुलिस वर्दी में सजी सैकड़ों हिम वीरांगनाओं के सधे कदमतालों की ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो गया। शनिवार का दिन 604 हिम वीरांगनाओं के जीवन में नया सवेरा लेकर आया था। कल तक जो बेटियां सुकोमल कही जाती थीं, 44 सप्ताह की कठोर ट्रेनिंग ने उन्हें फूल से फौलादी बना दिया। चीन की संवेदनशील सीमा के लिये एक नई सुरक्षा की दीवार तैयार हुई। सैकड़ों आंखें सीमा पर निगेहबानी के लिये तैयार हुईं। कुल 28 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों की इन बेटियां ने जब दीक्षांत समारोह में शपथ ली, तो स्टेडियम में बैठे अभिभावकों की आंखें भावातिरेक में नम हो गई।
महानिरीक्षक आनंद पाल सिंह निंबाड़िया ने जब प्रशिक्षण पाकर दीक्षित होने वाली बेटियों के नाम एक पिता जैसा भाव-विभोर करने वाला पत्र पढ़ा, तो हिम वीरांगनाओं की आंखें नम थीं। महानिरीक्षक निंबाड़िया ने उनसे कहा कि अब वे अकेली नहीं हैं। उनके सुरक्षा दायित्वों के दौरान भारत सरकार, हमारा शासकीय तंत्र व आईटीबीपी परिवार हरकदम साथ है। हिम वीरांगनाओं में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा, मिजोरम से पंजाब-हिमाचल व हरियाणा तक प्रतिनिधित्व रहा। सबसे ज्यादा 95 हिम वीरांगनाएं उत्तराखंड की रहीं। इस 44 हफ्ते की सख्त ट्रेनिंग में इन्हें फौलादी बनाने के लिए युद्ध कौशल, हथियार चलाने, मैप रीडिंग, आत्मरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान व आंतरिक सुरक्षा के बाबत प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागियों में 353 स्नातक व 45 स्नातकोत्तर हिम वीरांगनाएं कर्मचारी चयन आयोग से चयनित होकर आईटीबीपी का हिस्सा बनीं। शहीद हिमवीरों की 19 हिम वीरांगनाएं अनुकंपा आधार पर आईटीबीपी का हिस्सा बनीं।
मुख्य अतिथि अपर महानिदेशक, पश्चिमी कमान, आईटीबीपी संजीव रैना ने इस मौके पर कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जो शारीरिक क्षमता-ज्ञान हिम वीरांगनाओं ने अर्जित किया, वह इस अनुशासित बल का हिस्सा बनने पर जीवन पर्यंत उनका मार्गदर्शन करेगा। भव्य परेड के बाद नव-आरक्षियों ने राष्ट्रीय ध्वज एवं बल के निशान तले अपने धर्मग्रंथों को साक्षी मानकर शपथ ली।
मुख्य अतिथि द्वारा विभिन्न गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली मुस्कान यादव, टीना सांगवान, रमनजीत कौर, नेहा कुमारी तथा निकिता बिष्ट को ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। एक विशेष ट्रॉफी का. मनीषा को दी गई। अंत में ब्रिगेडियर जीएस गिल (उपमहानिरीक्षक) ने धन्यवाद ज्ञापित किया। परेड के बाद पाइप बैंड ने मधुर धुनें प्रस्तुत कीं। आत्मरक्षा के लिए हिमवीर-हिम वीरांगनाओं ने युद्ध कला जूडो-कराटे आदि युद्ध-कलाओं का प्रदर्शन किया। इस मौके पर आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाये लोगों को मुक्त कराने में बम धमाकों व गोलीबारी वाला हाउस क्लियरिंग ड्रिल का रोमांचक प्रदर्शन किया गया।, जिसमें खोजी कुत्तों की मदद को दर्शाया गया। गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल रही जांबाज टीम बाइकर्स ने दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर करने वाला प्रदर्शन किया। उपमहानिरीक्षक ब्रिगेडियर जी. एस. गिल, उपमहानिरीक्षक डॉक्टर टेक चंद, तथा सेनानी (प्रशिक्षण) सुनील कांडपाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। फिर हिम वाटिका में वह दृश्य आह्लादित करने वाला था जब हिम वीरांगनाओं ने अपनी टोपियां उछालकर उल्लास दर्शाया। अपने अभिवावकों को टोपी पहनाकर सैल्यूट करती बेटियां खुशी से चहक रही थी।