पंजाब में बाढ़ का कहर, सेना-एनडीआरएफ डटी
राजीव तनेजा
चंडीगढ़, 12 जुलाई
बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। राहत कार्यों के बारे पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि बाढ़ के कारण पंजाब राज्य के 14 जिलों के 1058 गांव प्रभावित हुए हैं जिनमें सबसे अधिक गाँव रूपनगर जिले के हैं। रूपनगर जिले के 364, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर के 268, पटियाला के 250, जालंधर के 71, मोगा के 30, होशियारपुर के 25, लुधियाना के 16, फ़िरोज़पुर और संगरूर के 3 और तरनतारन के 6 गांव प्रभावित हुए। बीते 24 घंटों के दौरान बाढ़ के कारण राज्य में 3 व्यक्तियों की मौत हुई है। यह मौतें फरीदकोट जिले के कोटकपूरा में हुई है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में अब तक 49 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं जबकि 180 घरों के कुछ हिस्सों का नुकसान हुआ है। प्रवक्ता ने बताया कि गौशाला ब्राह्मण माजरा, सरहिन्द, ज़िला फतेहगढ़ साहिब में ज़िला प्रशासन के सहयोग से राहत-बचाव आपरेशन चला कर 800 गायों को बचाया गया, जिनमें से एक गाय की मौत हो गई और 8 गायों की हालत गंभीर बनी हुई है।
ज़िला फ़तेहगढ़ साहिब में 3 भैंसें, दो गायें, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर में 9 पशुओं की, शहीद भगत सिंह नगर में 2 गायों और 6300 मुर्गों, तरन तारन में 7 भैंसों और गायों और जालंधर जिले में 3 पशुओं की की मौत होने सूचना है। प्रवक्ता ने बताया कि राहत और पुनर्वास विभाग की तरफ से बाढ़ प्रभावित इलाकों में अलग अलग स्थानों पर 127 राहत कैंप लगाए गए हैं जिनमें से पटियाला में 14 रूपनगर में 16, मोगा में 7 लुधियाना में 3 मोहाली में 22, एसबीएस नगर में 2 संगरूर में 2 फ़िरोज़पुर में 18, होशियारपुर में 3 तरन तारन में 7 और जालंधर में 33 कैंप लगाए गए हैं।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति नियंत्रण में
समराला (निस) : उपायुक्त सुरभि मलिक ने बताया कि जिला प्रशासन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जिले में बुड्ढा नदी और सतलुज नदी के सभी पुलों की सुरक्षा का आंकलन कर रहा है। उन्होंने आज समराला, माछीवाड़ा और कुम कलां इलाकों के कई बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया, उन्होंने कहा कि यदि कोई पुल/पुलिया असुरक्षित पाई जाती है तो किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए उन्हें अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पुल समेत संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाने से बचें। उपायुक्त ने कहा कि बुड्ढा नदी में जल स्तर और बढ़ सकता है क्योंकि खेतों से बाढ़ का पानी अब बुड्ढा नदी में बहना शुरू हो गया है। बुड्ढा नदी के आसपास के इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह एक प्राकृतिक आपदा है और लोगों के पूर्ण सहयोग से इस पर जल्द ही काबू पा लिया जायेगा।
फोटो कैप्टन : डीसी सुरभि मलिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करतीं। -निस
छत गिरने से गर्भवती महिला समेत तीन की मौत
बठिंडा (निस) : फरीदकोट जिले के कोटकपूरा कस्बे में बुधवार तड़के बारिश के कारण एक मकान की छत ढह गई और घर में सोये पड़े परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई जबकि एक अन्य घायल है। जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 4 बजे कोटकपूरा में एक मकान की छत गिरने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। कोटकपूरा शहर में गुरप्रीत सिंह मंगलवार रात अपनी पत्नी कर्मजीत कौर और चार वर्षीय बेटे गैवी के साथ घर में सो रहा था। पड़ोसियों की 15 वर्षीय लड़की मनीषा भी उनके घर पर ही सो रही थी। बुधवार सुबह करीब चार बजे अचानक छत गिर गई। आसपास के लोगों ने बड़ी मुश्किल से सभी को मलबे से बाहर निकाला लेकिन गुरप्रीत सिंह, उनकी गर्भवती पत्नी कर्मजीत कौर और गैवी (4) की मौत हो गई जबकि मनीषा अभी उपचाराधीन है। एसडीएम वीरपाल कौर ने कहा कि जिला प्रशासन व सरकार की तरफ से पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद की जा रही है।
लुधियाना में बुड्ढा दरिया ने मचाया कहर
लुधियाना (निस) : वैसे तो राज्य के सभी भागों में बाढ़ ने हड़कंप मचा रखा है लेकिन औद्योगिक शहर लुधियाना में बुड्ढा दरिया आफत बन गया है। गत देररात बुड्ढा दरिया में पानी ओवरफ्लो हो गया। जानकारी अनुसार गत चौबीस घंटों में दरिया का जलस्तर छह इंच से ज्यादा बढ़ा है जिससे करीब 300 झुग्गियां पानी में डूब गई। बुड्ढा दरिया से पानी इतनी तेजी से किनारों से बाहर आया कि झुग्गी वालों को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। सेंट्रल जेल लुधियाना के सामने श्री बाला जी पुली के पास दो-तीन जगह से ओवरफ्लो होने के कारण पानी काफी तेजी से सड़कों पर आ गया। वहां मौजूद नगर निगम की टीमों ने तुरंत अधिकारियों को जानकारी दी और मिट्टी की ढेरी लगाकर बांध बनाए गए। इसी दौरान एसटीपी प्लांट में भी पानी घुस गया जिस कारण प्रशासन की चिंता और भी बढ़ गई। एसटीपी प्लांट के बाहर भी बोरियों और मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोका गया हालांकि तब तक एसटीपी प्लांट में पानी काफी मात्रा में जा चुका था।