उड़ान के खतरे
यह खबर हर किसी को चौंकाती है कि विमानन सेवा में महज अठारह दिनों में आठ बार गंभीर गड़बड़ी सामने आई हो। जोखिम की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हवाई यात्रा में कम समय में गड़बड़ी के इतने गंभीर मामले गंभीर चिंता का विषय है जो मामले की गंभीरता के मद्देनजर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता बताती है। निस्संदेह नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की इस टिप्पणी से सहमत हुआ जा सकता है कि हवाई कंपनियां विश्वसनीय सेवा सुनिश्चित करने में विफल रही हैं। यह सर्वविदित है कि उड़ान के दौरान हवाई यात्रा जोखिम की दृष्टि से बेहद संवेदनशील होती है। जरा सी चूक से सैकड़ों लोगों की जिंदगी मिनटों में संकटों में घिर सकती है। इसका देश व विदेश के हवाई यात्रियों में बेहद नकारात्मक संदेश जाता है। विडंबना है कि महज अठारह दिनों में हवाई जहाजों में आई तकनीकी खराबी का खमियाजा केवल घरेलू यात्रियों को ही नहीं भुगतना पड़ा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सेवा भी प्रभावित हुई। बीते मंगलवार को दुबई जा रहा एक हवाई जहाज आपातकालीन परिस्थितियों में मजबूरन पाकिस्तान के कराची शहर में उतारा गया। यह अच्छी बात है कि किसी तरह से जान-माल को आंच नहीं आई। निश्चित रूप से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय इस मामले में देर से जागा। वह शुरुआत में ही सख्ती दिखाता तो शायद हवाई यात्रा को लेकर अतिरिक्त चौकसी बढ़ा दी जाती। इससे पहले कांडला से मुंबई जा रहे विमान में भी तकनीकी खराबी के कारण विमान को आपातकाल में उतारना पड़ा था। निस्संदेह, विमान में छोटी-सी भी तकनीकी खामी घातक साबित होती है, जिससे यात्रियों में भय का वातावरण बन जाता है। कमोवेश ऐसी ही स्थिति उन्नीस जून को दिल्ली के लिये पटना से उड़े विमान में भी पैदा हो गई थी जब उड़ान भरने के बाद विमान के एक इंजन में आग लग गई। पायलट की सूझबूझ से विमान को वापस पटना हवाई अड्डे पर उतार लिया गया। यदि समय रहते सजगता न दिखायी गई होती तो यात्रियों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती।
निश्चित रूप से थोड़े से अंतराल में विमानों की आपातकालीन लैंडिंग की इतनी घटनाएं हमारी विमानन सेवाओं की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाती हैं। किसी स्तर पर कोई चूक न हो इसके लिये जरूरी है कि निगरानी करने वाली संस्थाएं सतर्क रहें। लेकिन यहां जिम्मेदार एजेंसियां तब जागी जब आठ बार यात्रियों का जीवन जोखिम की परिधि में रहा। जाहिर है इसमें विमानन कंपनियों के स्तर पर तो चूक है ही, नियमन-निगरानी करने वाली सरकारी संस्थाओं के स्तर पर भी मामले की गंभीरता की अनदेखी की गई है। एक विमानन कंपनी को कारण बताओ नोटिस बहुत देर बाद जारी किया गया। बहरहाल, हाल की घटनाएं निष्कर्ष देती हैं कि विमानन सेवाओं में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। यह भी कि भारत में सेवाएं देने वाली विमानन कंपनियां वायुयात्रा में सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानकों की अनदेखी कर रही हैं। हवाई यात्रा के जोखिम व संवेदनशीलता को देखते हुए सतर्कता व चौकसी के जो उपाय बरते जाने चाहिए, उनकी अनदेखी ही हुई है। निस्संदेह, दुर्घटनाओं से निरापद हवाई यात्रा की अनिवार्य शर्त है कि विमानन कंपनियां भरोसेमंद व विश्वसनीय हवाई सेवा यात्रियों को उपलब्ध करायें। इसके लिये जरूरी है कि एयरलाइन कंपनियां आंतरिक सुरक्षा निरीक्षण की गुणवत्ता को सुधारें। साथ ही नियमित रूप से इनके रखरखाव की निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि किसी अनहोनी को टाला जा सके। जैसा कि डीजीसीए ने कहा भी है कि अधिकांश मामलों में शिकायत संचालन प्रणाली व कलपुर्जों के ठीक से काम न करने के बाबत आई है। जाहिर है सुरक्षा के उच्चतम मानकों के क्रियान्वयन से समय रहते ऐसी तकनीकी खामियों को दूर किया जा सकता है। विमानन कंपनियों का दायित्व बनता है कि ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि हर यात्रा से पहले विमान की तकनीकी स्थिति व सुरक्षा मानकों की जांच को सघन प्रक्रिया से गुजारा जाये। कंपनियों को इस बात पर गहन मंथन करना चाहिए कि यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाली घटनाओं की पुनरावृत्ति क्यों हो रही है। हवाई यात्रा को शत-प्रतिशत सुरक्षित बनाना विमानन कंपनियों की जिम्मेदारी ही है।