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अनुच्छेद-370 निरस्त किए जाने के पांच साल पूरे हुए : महबूबा ने नजरबंद किए जाने का किया दावा

12:31 PM Aug 05, 2024 IST
अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के पांच साल पूरे हुए   महबूबा ने नजरबंद किए जाने का किया दावा
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 श्रीनगर, पांच अगस्त (भाषा)
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के पांच साल पूरे होने पर बढ़ायी गई सुरक्षा के बीच उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है तथा उनकी पार्टी के कार्यालय को बंद कर दिया गया है।

मुफ्ती ने कहा कि मुझे घर में नजरबंद रखा गया है जबकि पीडीपी कार्यालय को बंद कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली ‘अपनी पार्टी' के कार्यालय को भी ऐहतियाती कदम के तौर पर सोमवार को बंद कर दिया गया है।

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नेशनल कांफ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने दावा किया कि उन्हें घर में नजरबंद किया गया है। सादिक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि मुझे घर में नजरबंद रखा गया है जो कि पूरी तरह अनावश्यक है। मुझे कुछ काम से बाहर जाना था लेकिन मेरे घर के दरवाजे के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों ने मुझे बाहर जाने से रोक दिया। यह अनुचित और अवैध है। उन्होंने एक तस्वीर भी पोस्ट की है जिसमें शहर के हसनबाद इलाके में उनके आवास के बाहर पुलिसकर्मी दिखायी दे रहे हैं।

नेकां प्रवक्ता ने कहा कि पांच अगस्त असंवैधानिक और गैरकानूनी है तथा हमेशा रहेगा। पांच अगस्त 2019 को भाजपा ने जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया। संविधान की अनदेखी कर भाजपा ने जम्मू कश्मीर के साथ संवैधानिक, नैतिक और कानूनी संबंधों को कमजोर किया।

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केंद्र ने पांच अगस्त 2019 को संविधान का अनुच्छेद-370 निरस्त कर दिया था जो जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून भी लेकर आयी जिसने पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तथा जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया।

पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा कि पांच अगस्त का दिन कश्मीरी लोगों के पूरी तरह से अशक्त'' होने की याद दिलाएगा। लोन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पांच अगस्त हमेशा कश्मीरी लोगों के पूर्ण रूप से अशक्त होने की याद दिलाता रहेगा। पांच साल से यहां कोई निर्वाचित विधानसभा नहीं है और स्थानीय लोगों को अपने मामलों में फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। दुख की बात है कि देश में इतनी शक्तिशाली आवाजें नहीं हैं जो यह सवाल पूछ सकें कि खासकर जम्मू-कश्मीर को ऐसे अपमानजनक अस्तित्व के लिए निशाना क्यों बनाया गया है।

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