मान सरकार में आज शामिल होंगे पांच नये मंत्री
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 जुलाई
पंजाब मंत्रिमंडल का सोमवार को विस्तार होने जा रहा है। सरकार गठन के बाद यह दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार है जिसमें पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अभी अधिकारिक रूप से नए मंत्रियों के नाम का ऐलान नहीं किया है और विधायकों ने चंडीगढ़ से दिल्ली तक लॉबिंग शुरू कर दी है। सबसे ज्यादा घमासान महिला विधायकों में छिड़ा हुआ है। पंजाब मेंं मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई दिनों से अटकलों का दौर जारी है। संगरूर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद पार्टी पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर खासा दबाव बना हुआ है। पंजाब सरकार में इस समय मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत 10 मंत्री हैं। पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद 16 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कार्यभार संभाला था। भगवंत मान इस समय करीब 28 विभाग संभाल रहे हैं। 117 विधायकों वाली पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा 17 मंत्री बनाए जा सकते हैं। 19 मार्च को पंजाब के राज्यपाल ने दस मंत्रियों को शपथ दिलवाई थी। 21 मार्च को सभी मंत्रियों को विभाग अलाट किए गए थे। 24 मई को भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद भगवंत मान मंत्रिमंडल में आठ मंत्रियों के पद खाली हैं।
पंजाब राजभवन में मंत्रिमंडल गठन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। सोमवार की शाम पांच बजे सभी नये मंत्रियों को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। जिन विधायकों के नाम मंत्री बनने के लिए सामने आए हैं उनमें सबसे पहला नाम सुनाम से विधायक बने अमन अरोड़ा का है। अमन अरोड़ा दूसरी बार विधायक बने हैं। पहले कार्यकाल के दौरान जब कई पुराने नेताओं ने पार्टी को छोड़ा तो उस समय भी अमन अरोड़ा मजबूती के साथ डटे रहे। हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उन्होंने सामान्य विधायक होने के बावजूद विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कई बार सरकार का बचाव किया।
इस सूची में दूसरा नाम अमृतसर दक्षिणी सीट से विधायक डॉक्टर इंदरबीर निज्जर का है। निज्जर ने प्रोटेम स्पीकर बनकर सभी विधायकों को शपथ दिलाई थी। आम आदमी पार्टी ने जब सीमावर्ती जिलों में अपनी जड़े मजबूत की तो अमृतसर में निज्जर ने सबसे पहले झंडा उठाया था। भगवंत मान सरकार में अभी एक महिला मंत्री हैं लेकिन वरिष्ठता के आधार पर प्रो. बलजिंदर कौर या सर्वजीत कौर माणुके में से किसी एक का नंबर लग सकता है। दोनों महिला विधायक दूसरी बार विधायक बनी हैं। प्रो. बलजिंदर कौर ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के क्षेत्र में पार्टी को खड़ा किया है। सरबजीत कौर माणुके पिछले कार्यकाल के दौरान विधानसभा में उपनेता रह चुकी हैं और पहले विस्तार के दौरान माणुके का नाम अंतिम समय तक चलता रहा। इसके बाद माणुके को विधानसभा स्पीकर बनाने की बात भी चली लेकिन सिरे नहीं चढ़ सकी। इन दोनों के साथ-साथ अपने दिल्ली संपर्कों के माध्यम से खरड़ से पहली बार विधायक बनी अनमोल गगन मान भी इस रेस में आगे हैं। अनमोल गगन मान पेशे से पंजाबी गायिका हैं। गायिकी का क्षेत्र छोडक़र राजनीति में उतरी मान ने बहुत कम समय में पार्टी के साथ महिलाओं को जोड़ा है। इसके अलावा प्रिंसिपल बुधराम धीमान तथा पटियाला से कैप्टन अमरिंदर सिंह को हराने वाले अजीत पाल सिंह कोहली, समाना के विधायक चेतन सिंह जोड़ा माजरा, गुरु हर सहाय के विधायक फौजा सिंह सरारी भी संभावित चेहरों में होने के चलते लॉबिंग में जुटे हुए हैं।
हरियाणा के सीएम का दावा, पंजाब अलग हाईकोर्ट के लिए सहमत
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के संबंध में किए गए दावे को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। दोनों राज्यों में पहले भी कई मुद्दों को लेकर विवाद चलता रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दावा किया है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने न्यू चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की मांग की है। इस मुद्दे पर पंजाब सरकार तो चुप है लेकिन पंजाब विधानभा के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने इस बारे में स्पष्टीकरण की मांग की है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भेजा है जिसमें 30 अप्रैल को दिल्ली में हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा गया है कि पंजाब अलग हाईकोर्ट के तैयार है। इसमें हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की मौजूदगी में भगवंत मान ने न्यू चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की मांग की थी। न्यू चंडीगढ़ पंजाब के अधीन आता है। उन्होंने कहा कि यह सही वक्त है, जब पंजाब और हरियाणा के लिए अलग-अलग हाईकोर्ट बनाया जाए। हरियाणा के मुख्यमंत्री के इस दावे के बाद पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि भगवंत मान स्पष्ट करें कि क्या सच में उन्होंने न्यू चंडीगढ़ में पंजाब के लिए हाईकोर्ट बनाने की बात कही है। अगर ऐसा है तो यह पंजाब के हितों के खिलाफ है। मौजूदा हाईकोर्ट बिल्डिंग ही पंजाब को दी जानी चाहिए। चंडीगढ़ शुरुआत में पंजाब की ही राजधानी बना था।