पहले जरूरी संस्थान की परख, फिर प्रवेश
प्रदीप मिश्र
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने विद्यार्थियों और परीक्षार्थियों के हित में एक और कदम बढ़ा दिया है। प्राधिकरण ने दिशानिर्देश सार्वजनिक करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान किसी भी सूरत में शत-प्रतिशत सफलता या चयन का वादा या दावा नहीं कर सकते हैं। इससे कोचिंग संस्थानों पर शिकंजा और कस जाएगा लेकिन विज्ञापनों के बहाने इनके जाल में फंसने वालों को बड़ी राहत मिलना तय है। भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए सीसीपीए के मुख्य आयुक्त रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में बनी नौ सदस्यीय समिति की राय है कि कोचिंग संस्थानों को अब अपने दावों के समर्थन में सफल उम्मीदवार की फोटो, रैंक, पाठ्यक्रम और उसकी अवधि बतानी होगी। फर्जीवाड़ा करने वाले कोचिंग संस्थान संचार माध्यमों के विज्ञापनों, डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर दावा करते हैं कि सफल अभ्यर्थियों ने उनके यहां कोचिंग ली थी।
विज्ञापनों में भ्रामक दावे
विज्ञापनों के बूते विद्यार्थियों को लुभाने में नामी कोचिंग संस्थान शामिल रहे। दरअसल, सीसीपीए ने सबसे पहले सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम पर फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी के आरोपी कोचिंग संस्थानों पर शिकंजा कसा था। चंद महीने पहले भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए सीसीपीए ने एक बहुचर्चित कोचिंग संस्थान पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इस कोचिंग का दावा था कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए चयनित 933 में से 682 अभ्यर्थी उनके यहां पढ़े हैं। संस्थान ने टॉपर को भी अपना विद्यार्थी बता दिया। कोचिंग संस्थानों के दावों की पुष्टि के बिना वहां का हिस्सा बनना सही फैसला नहीं हो सकता है।
जांच और कार्रवाई
2022-23 में डेढ़ साल के दौरान सीसीपीए ने 31 प्रमुख कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया। उन 20 की जांच की, जिन्होंने 3500 से अधिक सफल अभ्यर्थियों के अपने यहां पढ़ने का दावा किया था। सफल अभ्यर्थियों की संख्या 933 थी। एक-एक अभ्यर्थी पर कई-कई संस्थानों ने अपना ‘प्रॉडक्ट’ होने का दावा कर दिया था। विज्ञापनों का प्राधिकरण ने संज्ञान लिया था। डेढ़ साल से चल रही जांच का पहला नतीजा पिछले साल अक्तूबर में आया। इसमें तीन कोचिंग संस्थानों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसी कड़ी में कसूरवार पाए गए कोचिंग संस्थान पर पांच लाख का जुर्माना लगाया।
पहल को मिले विस्तार
आश्चर्यजनक है कि अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों के साथ यह धोखाधड़ी यूपीएससी की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा के नाम पर किया जा रहा था। बाकी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बाजार के बाजीगर क्या-क्या हथकंडे अपनाते होंगे। प्राधिकरण की इस पहल को विस्तार देने की आवश्यकता है। राज्य स्तरीय, रेलवे, बैंक और कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कोचिंग संस्थान भी ऐसे ही फर्जीवाड़ा करते हैं।
झूठ का सिलसिला
छात्र-छात्राओं से झूठ का सिलसिला 10वीं-12वीं के बाद जेईई और नीट के लिए कोचिंग के विज्ञापनों से शुरू होता है। करीब तीन लाख आवेदक विज्ञापन देख हर साल कोचिंग कैपिटल कोटा जाते हैं। एक छात्र से यहां 40 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक वसूले जाते हैं। साल 2023 में मानसिक तौर पर खुद को न संभाल पाने वाले 28 विद्यार्थियों ने अतिवादी कदम उठा लिया। सीसीपीए के मसौदे और आंखें खोलने वाले सच को समझना होगा, सतर्कता भी बरतनी होगी। ऐसे में संभावना है कि अब युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से बाज आएंगे।