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पहले तथ्य जांचें, फिर करें टिप्पणी

07:05 AM Jun 28, 2024 IST
पहले तथ्य जांचें  फिर करें टिप्पणी
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शिमला, 27 जून (हप्र)
चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कुलपति की नियुक्ति को लेकर हिमाचल प्रदेश राजभवन और कृषि मंत्री चंद्र कुमार के बीच विवाद बढ़ गया है। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज शिमला में एक पत्रकार वार्ता में कृषि मंत्री चंद्र कुमार को खरी-खरी सुनाई और स्पष्ट किया कि चंद्र कुमार पहले तथ्य जांच लें फिर राज्यपाल पर टिप्पणी करें। राज्यपाल ने कहा कि वह नियम के विरुद्ध कोई काम नहीं करेंगे और राज्यपाल पद की गरिमा का पालन करते रहेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राजभवन ने चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कुलपति की नियुक्ति की फाइल को नहीं रोका है बल्कि राजभवन ने इस नियुक्ति से जुड़ी फाइल को अपनी प्रतिक्रिया के साथ प्रदेश सरकार को वापस भेज दिया है और चंद्र कुमार को फाइल के बारे में सरकार से पता करना चाहिए।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि सरकार ने प्रदेश विधानसभा में एक कानून पारित कर राजभवन को मंजूरी के लिए भेजा है। इस कानून में कहा गया है कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कुलपति की नियुक्ति सरकार की इच्छा अनुसार की जाए क्योंकि सरकार इस विश्वविद्यालय को चलाने के लिए पैसा देती है। इसलिए सरकार कुलपति के लिए जो नाम प्रस्तावित कर भेजे राज्यपाल उसे कुलपति बना दे। राज्यपाल ने कहा कि न तो पहले इस प्रकार की कोई व्यवस्था थी और न ही कृषि विश्वविद्यालय में इस कानून के अनुसार नियुक्ति की जा सकती है क्योंकि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर एक तकनीकी विश्वविद्यालय है। ऐसे में इस विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति के लिए एक प्रतिनिधि सरकार का, एक यूजीसी का और एक राजभवन का होना जरूरी है। इन प्रतिनिधियों की कमेटी ही कुलपति का चयन कर सकती है। उन्होंने कहा कि राजभवन ने इस कार्य के लिए एक कमेटी का भी गठन किया था जिसने अपने नाम भी सुझा दिए थे लेकिन बाद में विश्वविद्यालय के ही एक शिक्षक द्वारा अदालत में याचिका दायर कर दिए जाने के कारण इस नियुक्ति पर स्टे लग गया है और स्टे हटते ही राजभवन कुलपति के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा कर देगा।
राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में एक साल से नियमित कुलपति न होने पर भी नाराजगी जताई और कहा कि इस नियुक्ति में देरी के लिए भी राजभवन का कोई दोष नहीं है क्योंकि राजभवन ने सरकार के प्रतिनिधि यानी मुख्य सचिव को इस नियुक्ति के लिए अपना प्रतिनिधि तय कर दिया है जो राज्य सरकार का भी प्रतिनिधि है।

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