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अटाकामा में बरसती है शुक्र ग्रह जैसी आग

07:27 AM Aug 06, 2023 IST
अटाकामा में बरसती है शुक्र ग्रह जैसी आग
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मुकुल व्यास

हम जानते हैं कि शुक्र ग्रह पर आग बरसती है। हमारे सौर मंडल में बुध सूर्य के सबसे ज्यादा करीब है लेकिन शुक्र सबसे ज्यादा गर्म ग्रह है। वहां सतह का तापमान लगभग 475 डिग्री सेल्सियस है जो सीसा पिघलाने के लिए पर्याप्त है। आपको यह जानकर अवश्य हैरानी होगी कि हमारी पृथ्वी पर भी शुक्र जैसा अनुभव किया जा सकता है। पृथ्वी पर सबसे ज्यादा धूप चिली के अटाकामा रेगिस्तान के एल्टिप्लानो में पड़ती है। अटाकामा रेगिस्तान दुनिया के सबसे शुष्क स्थानों में से एक है और खगोल विज्ञान की कई सबसे बड़ी और बेहतरीन दूरबीनों के लिए यह आदर्श स्थान है। अटाकामा रेगिस्तान का चचननटोर पठार दुनिया का सबसे ज्यादा धूप वाला स्थान जाना जाता है। एंडीज पर्वतमाला के पास स्थित इस पठार में शुक्र ग्रह जितनी ही धूप होती है। यह स्थान ठंडा और शुष्क है।
बिखरे हुए बादलों के बीच से धूप
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि बिखरे हुए बादलों द्वारा समय-समय पर की जाने ‘फारवर्ड स्कैटरिंग’ इस विशेष पठार को लगभग शुक्र की सतह के समान धूपदार बना देती है। यह एक विचित्र मौसमी घटना है। लगभग 4,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिस्से को भूमध्य रेखा के करीब या अधिक ऊंचाई वाले स्थानों की तुलना में अधिक धूप मिलती है। अटाकामा रेगिस्तान कई कारणों से विशेष है। यह पृथ्वी पर सबसे पुराना रेगिस्तान है। एंडीज़ पर्वतमाला के पश्चिम में भूमि की यह 1600 किलोमीटर की पट्टी सबसे शुष्क स्थानों में से एक है। अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों के अलावा यह दूसरा ऐसा स्थान है जहां लाखों वर्षों से वर्षा नहीं हुई है। लेकिन ऐसे अप्रिय वातावरण के कुछ फायदे भी हैं। अपनी अत्यधिक शुष्कता,उच्च ऊंचाई,कम बादल आवरण और लगभग शून्य रेडियो हस्तक्षेप और शून्य प्रकाश प्रदूषण के कारण अटाकामा रेगिस्तान दुनिया की कुछ सबसे उन्नत दूरबीनों का घर भी है। इन दूरबीनों के माध्यम से खगोल वैज्ञानिक दूसरी दुनिया की झलक देखते रहते हैं।
सौर विकिरण ऊर्जा का रिकॉर्ड
चिली का एल्टिप्लानो अपने सौर विकिरण या सूर्य से पृथ्वी पर उत्सर्जित प्रकाश ऊर्जा के प्रमुख केंद्र के लिए भी जाना जाता है। विज्ञानियों ने चिली के पठार पर सौर विकिरण ऊर्जा की मात्रा 2,177 वाट प्रति वर्ग मीटर मापी जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। तुलना के लिए पृथ्वी के वायुमंडल के शीर्ष पर विकिरण की मात्रा लगभग 1,360 वाट प्रति वर्ग मीटर है। चिली के रेगिस्तान के बारे में एक नया अध्ययन अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और नीदरलैंड में ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के जलवायु विज्ञानी राउल कोर्डेरो का कहना है कि यह वास्तव में वह विकिरण है जो आपको गर्मियों में शुक्र ग्रह की सतह पर महसूस होगा। कोर्डेरो ने कहा कि यह तुलना अविश्वसनीय है क्योंकि शुक्र ग्रह पृथ्वी की तुलना में सूर्य के लगभग 28 प्रतिशत ज्यादा करीब है। एक अध्ययन के अनुसार पठार पर औसत सौर विकिरण लगभग 308 वाट प्रति वर्ग मीटर है। यह भी एक विश्व-रिकॉर्ड-तोड़ने वाली मात्रा है जो मध्य यूरोप और अमेरिका के पूर्वी तट में दर्ज की गई मात्रा की तुलना में दोगुनी ही ठहरती है।
क्या है फारवर्ड स्कैटरिंग!
सवाल यह है कि पृथ्वी पर एक स्थान शुक्र ग्रह जितना धूप वाला कैसे हो सकता है? इसके लिए अटाकामा के आसमान पर छाने वाले बादल वास्तव में दोषी हैं। आमतौर पर बादल सूर्य के प्रकाश को रोकते हैं और प्रकाश के विकिरण को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर देते हैं। यही कारण है कि विशेष रूप से धूप वाले दिन बादलों के छाने से भारी लेकिन अस्थायी राहत मिलती है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, बादल विपरीत प्रभाव डाल भी सकते हैं और सूर्य की किरणों को एक आवर्धक कांच की तरह सतह पर केंद्रित कर सकते हैं। इसे फारवर्ड स्कैटरिंग के रूप में जाना जाता है और इसका प्रभाव विशेष रूप से तब स्पष्ट होता है जब दक्षिण अमेरिकी मानसून के दौरान बादल टूट जाते हैं। ऐसा दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों के दौरान होता है।

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चिली पर ज्यादा धूप की वजह
नासा के एक वायुमंडलीय विज्ञानी सेजी काटो ने बताया कि जब सौर विकिरण वायुमंडल के माध्यम से प्रसारित होता है तब वह जल वाष्प द्वारा अवशोषित हो जाता है और बादलों और एरोसोल द्वारा बिखेर दिया जाता है। लेकिन अधिक ऊंचाई वाले स्थान को अनिवार्य रूप से अधिक धूप मिलेगी क्योंकि ऐसे स्थान जल वाष्प की परत के ऊपर होते हैं और वहां बादल कम होते हैं तथा एरोसोल की मात्रा भी कम होती है। चिली का इतना ज्यादा धूपदार होने का एक अन्य कारण दक्षिणी गोलार्ध में उसकी भौगोलिक स्थिति भी है। यह गर्मियों में विशेष रूप से सच है जब पृथ्वी की कक्षा सूर्य के करीब होती है। पृथ्वी की कक्षा जनवरी की शुरुआत में सूर्य के करीब 'पेरीहेलियन बिंदु' तक पहुंच जाती है जिसके परिणामस्वरूप सौर विकिरण में वृद्धि होती है जो दक्षिणी गोलार्ध में उत्तरी गोलार्ध की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।
सेहत के जोखिम
प्रचुर मात्रा में धूप होने के अपने फायदे हो सकते हैं लेकिन इतनी मात्रा में धूप के संपर्क में आने से अच्छा ख़ासा नुकसान भी हो सकता है। यदि आप के सम्मुख इतने ज्यादा उच्च विकिरण का खतरा हैं तो आपको अपनी त्वचा की रक्षा करनी होगी। वैसे उपग्रह डेटा से पता चल चुका था कि इस क्षेत्र को दुनिया में सबसे अधिक सूरज की रोशनी मिलती है। अब नया यह अध्ययन यह समझाने में मदद करता है कि चिली के अटाकामा रेगिस्तान को इतने उच्च स्तर का विकिरण क्यों प्राप्त होता है।
लेखक विज्ञान संबंधी मामलों के जानकार हैं।

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