पहली नज़र में खोजे फ़िल्मी सितारे
अपराजिता
टैलेंट को परखना और वह भी पहली नजर में,सचमुच एक दुर्लभ कला है। लेकिन मानना होगा कि बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, हर इंडस्ट्री में दर्जनों ऐसे कामयाब सितारे और सुपर स्टार हैं,जिन्हें सिने जगत में मौजूद पारखी जौहरियों ने पहली नजर में खोजा है। बॉलीवुड के मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन को ही लें। प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर कई बार बता चुके हैं कि कैसे अमिताभ बच्चन को देखते ही वह कह उठे थे, ‘यह शख्स भविष्य का सुपर स्टार है, जिसे उनके सह-लेखक सलीम खान ने भी माना था।’ लेकिन इससे पहले अमिताभ को लेकर यही भविष्यवाणी उन्हें फिल्मों में पहली बार ब्रेक देने वाले ख्वाजा अहमद अब्बास भी कर चुके थे।
हालांकि उन्होंने अपनी जिस फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में अमिताभ को ब्रेक दिया था,कामयाबी के लिहाज से वह कोई ब्लाक बस्टर फिल्म नहीं साबित हुई थी। फिर भी फिल्म के लेखक-निर्देशक अब्बास साहब ने अमिताभ की गहरी आवाज और व्यक्तित्व में एक चुंबकीय आकर्षण देख लिया था। जल्द ही अमिताभ बच्चन ने जंजीर में ‘एंग्री यंग मैन’ का किरदार निभाकर अब्बास की बात को सच साबित कर दिया। अपने जीवंत अभिनय की बदौलत अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में छा गए। आज उनकी पहचान बॉलीवुड के महानायक के रूप में है।
हॉलीवुड में भी ऐसे उदाहरण
कुछ ऐसा ही किस्सा हॉलीवुड के सर्वकालिक महान अभिनेता मार्लन ब्रैंडो का भी है। ब्रैंडो को नाटक ‘ए स्ट्रीटकार नेम्ड डिज़ायर’ (1947) में स्टेनली कोवाल्स्की का किरदार निभाते हुए,जब थियेटर में हॉलीवुड के प्रभावशाली निर्देशकों में से एक एलिया कज़ान ने देखा, तो वह पहचान गए कि बंदे में हॉलीवुड का स्टार छिपा है। कजान फिर 1951 में उसी नाटक के फिल्म रूपांतरण पर उन्हें बड़े पर्दे पर मुख्य भूमिका में लेकर आये। अपनी पहली फिल्म से ही ब्रैंडो ने एक नयी अभिनय-शैली स्थापित की, जिसे प्राकृतिक और रियलिस्टिक माना गया। फिर ब्रांडो ने ‘द गॉडफादर’ में तो अद्वितीय भूमिका निभाई।
शाहरुख खान से जुड़ा किस्सा
बॉलीवुड के बादशाह माने जाने वाले शाहरुख खान के साथ भी पहली नजर का कुछ ऐसा ही किस्सा जुड़ा हुआ है। शाहरुख खान को पहली बार ब्रेक एक टीवी सीरियल ‘फौजी’ में मिला था। साल 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए इस सीरियल में शाहरुख खान ने लेफ़्टिनेंट अभिमन्यु राय का किरदार निभाया था। जिस किरदार लेफ्टिनेंट अभिमन्यु के रूप में,शाहरुख की जबर्दस्त पहचान बनी,शुरू में वह उसके लिए कास्ट नहीं किये गये थे। शाहरुख का लेफ़्टिनेंट अभिमन्यु राय का किरदार निभाना तय हुआ तो इसके लिए डायरेक्टर राजकुमार कपूर ने सीरियल की स्क्रिप्ट में काफी बदलाव किये थे। सीरियल के मूल रूप में शाहरुख खान की भूमिका कौवों की गिनती करने वाले की थी। लेकिन पहले दिन की शूटिंग के रशेज देखकर ही कपूर का मूड बदल गया व उन्हें मुख्य किरदार में पेश करना तय किया। इस सीरियल ने शाहरुख को जो पहचान दिलाई उसके चलते उनके पास टेलीविज़न सीरियलों की लाइन लग गयी। लेकिन शाहरुख दो सीरियल करते ही मुंबई आ गए। शाहरुख की पहली फ़िल्म ‘दीवाना’ साल 1992 में रिलीज़ हुई थी। जल्द ही ‘बाजीगर’ और ‘डर’ जैसी फिल्मों में उन्हें बड़ी कामयाबी मिली।
कंगना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी
पहली नजर में खोजे गए सितारों की बहुत लंबी शृंखला है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का फिल्मी सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। उन्हें मौक़ा देने के लिए स्क्रीन टेस्ट भी लेने को तैयार नहीं था। लेकिन उन पर भी एक दिन अनुराग कश्यप पारखी नजर पड़ी और कश्यप ने उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में प्रमुख किरदार दे दिया। इस फिल्म ने सचमुच नवाजुद्दीन को एक असाधारण अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया। ऐसी ही पारखी नजर महेश भट्ट की कंगना रनौत पर पड़ी और उन्होंने उन्हें ‘गैंगस्टर’ की लाइमलाइट दे दी। पहली फिल्म में ही उनकी अभिनय क्षमता देखकर दर्शकों ने उन्हें सुपरस्टार मान लिया था। बाद में कंगना ने फिल्म ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया। कुछ ऐसी ही कहानी हॉलीवुड में अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप की रही है। हाल के सालों में राजकुमार राव को भी इसी तरह पहली नजर में हंसल मेहता ने ‘शाहिद’ के लिए चुन लिया और महत्वपूर्ण भूमिका दी। अपनी इस पहली फिल्म में ही उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। उनका अभिनय देख उन्हें बेहतरीन फिल्मों में प्रमुख भूमिकाएं मिलीं। आज वे बॉलीवुड में अभिनय के राजकुमार माने जाते हैं, उसी तरह जैसे हॉलीवुड में लियोनार्डो डिकैप्रियो को उनकी शुरू की फिल्मों, ‘वूल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट’ और ‘इनसेप्शन’ से ही टैलेंट का पूरा पैकेज माना गया।
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड दोनों ही जगह कुछ अनमोल सितारे पहली नजर में ही तलाशे गए हैं और इन्होंने अपने अभिनय से इसे सच साबित किया है।
-इ.रि.सें.