नीट, अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर जोरदार बहस की संभावना
नयी दिल्ली, 30 जून (एजेंसी)
संसद की कार्यवाही के सोमवार को पुन: आरंभ होने पर राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) प्रश्नपत्र लीक, अग्निपथ योजना और महंगाई जैसे मुद्दों पर जोरदार बहस होने की संभावना है। विपक्ष प्रश्नपत्र लीक मामले के अलावा बेरोजगारी का मुद्दा भी उठा सकता है। लोकसभा में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करेंगे। भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी एवं पहली बार की लोकसभा सदस्य बांसुरी स्वराज इस प्रस्ताव का अनुमोदन करेंगी। लोकसभा ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया है, जिसका समापन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब के साथ होगा।
राज्यसभा में चर्चा के लिए 21 घंटे का समय निर्धारित किया गया है और प्रधानमंत्री के बुधवार को (चर्चा पर) जवाब देने की संभावना है। नीट मुद्दे पर संसद में इस सप्ताह काफी हंगामा हुआ। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने पांच मई को नीट-यूजी का आयोजन किया था, जिसमें करीब 24 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। नतीजे चार जून को घोषित किए गए, लेकिन इसके बाद बिहार जैसे राज्यों में प्रश्नपत्र लीक होने के अलावा परीक्षा से जुड़ी अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे। राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने मोदी को ‘अतुलनीय’ बताया था और कहा था कि देश के सामने आने वाले मुद्दों से निपटने के उनके दृष्टिकोण और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण में बहुत अंतर है।
भाजपा सदस्य कविता पाटीदार ने प्रस्ताव का समर्थन किया था और चर्चा में अब तक नौ अन्य सदस्य भाग ले चुके हैं। लोकसभा में शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी’ में कथित अनियमितता पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया, जिस कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। नीट विवाद पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया तथा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी अपने साथी सदस्यों के साथ आसन के करीब आ गए।
50% की सीमा से ज्यादा आरक्षण के लिए कानून बनाए संसद : कांग्रेस
कांग्रेस ने रविवार को कहा कि संसद को एक कानून पारित करना चाहिए ताकि 50 फीसदी की सीमा से अधिक आरक्षण उपलब्ध कराया जा सके। कांग्रेस के इस बयान के एक दिन पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) ने मांग की थी कि बिहार में आरक्षण में बढ़ोतरी को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि पूरे लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान विपक्षी दल कहता रहा कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण से संबंधित सभी राज्य कानूनों को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। रमेश ने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि जदयू ने कल यही मांग की है। लेकिन राज्य और केंद्र, दोनों में उसकी सहयोगी भाजपा इस मामले में पूरी तरह से चुप है।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हालांकि, आरक्षण कानून को 50 प्रतिशत की सीमा से परे नौवीं अनुसूची में लाना भी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, ऐसे कानून भी न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।’ उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए संविधान संशोधन कानून की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में संसद के पास एक संविधान संशोधन विधेयक पारित करने का एकमात्र रास्ता है जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सभी पिछड़े वर्गों के लिए कुल आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक करने में सक्षम बनाएगा। रमेश ने कहा, क्या ‘नॉन बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री अपना रुख स्पष्ट करेंगे। हमारी मांग है कि इस तरह का एक विधेयक संसद के अगले सत्र में पेश किया जाना चाहिए, जदयू को केवल प्रस्ताव पारित करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए।