दीपावली के पर्व व मुहूर्त
सत्यव्रत बेंजवाल
कार्तिक अमावस 12 नवंबर को दोपहर 2:45 के बाद प्रदोष, निशीथ तथा महानिशीथ व्यापिनी होगी। 12 नवंबर, रविवार को दीपावली-पर्व को सायंकाल स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य योग, तुला राशिस्थ चंद्र तथा अर्धरात्रि व्यापिनी अमावसयुक्त होने से विशेषतः प्रशस्त रहेगी। ‘दीपावली पर्व’ पांच पर्वों का महोत्सव है- कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) से कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भाईदूज) तक रहते हैं। धनतेरस में भी सायंकाल गोधूली वेला में दीपदान करने का विधान है। 10 नवंबर को दोपहर 12:36 में धनतेरस की शुरुआत होगी! धनतेरस (10 नवंबर) के दिन दोपहर 2:35 से लेकर 11 नवंबर की सुबह 6:40 तक खरीदारी का शुभ मुहूर्त रहेगा। धनतेरस को पूजा का शुभ मुहूर्त सायं 5:45 से प्रारंभ होकर 7:42 पर समापन होगा। धनतेरस को लक्ष्मी, गणेश, कुबेर, धन्वंतरी देव की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। धनतेरस वाले दिन सायं 5:48 से 7:42 तक दीप ज्योति प्रज्वलित करने का शुभ मुहूर्त रहेगा।
प्रदोष काल मुहूर्त : सायं 5:27 से 8:09 से स्थिर लगन ‘वृष’ विशेष रूप से शुभ व प्रशस्त रहेगा। इस काल में शुभ व अमृत की चौघडि़या भी रहेंगी। सायं 5:39 से गणेश, लक्ष्मीजी का पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए। यह समय दीपदान, लक्ष्मी, कुबेर, बही-खाता पूजन व धर्म, गृह-स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना, व मिष्ठानादि वितरित-भेंट करना। निशीथ काल : रात 8:09 से 10:51 तक रहेगा। निशीथ काल में भी ‘अमृत’ तथा ‘चर’ की चौगड़ियों का समय रात 10:30 तक रहेगा। महानिशीथ काल : रात्रि 10:51 से आधी रात 1:33 तक महानिशीथ काल रहेगा। लक्ष्मी जी को कमल गट्टा या कमल की माला विशेष रूप से प्रिय होती है। दीपावली पर मिट्टी के 16 दीपक जलाना शुभ होता है।