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संयम व आध्यात्मिक शक्ति संचय का पर्व

10:52 AM Apr 08, 2024 IST
संयम व आध्यात्मिक शक्ति संचय का पर्व
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आर.सी. शर्मा
पौराणिक कथा के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आदिशक्ति का प्राकट्य हुआ था, जिन्होंने ब्रह्माजी से सृष्टि निर्माण करने के लिए कहा और उसी दिन से ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदुओं का नववर्ष भी शुरू होता है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मांड में सृष्टि का उदय हुआ था। इसलिए चैत्र नवरात्रि का हमारे धार्मिक और पौराणिक आस्थाओं में बहुत महत्व है। अगर प्रकृति की दृष्टि से देखा जाए तो चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में होती है। इन दिनों पेड़-पौधों में नवयौवन से युक्त कोमल पत्तियां और सृजन की संभावनाओं से भरे फूल खिले होते हैं। कुदरत इन दिनों हर तरफ अपनी सुंदरता की छटा बिखेर रही होती है। इस मौसम में चैत्र नवरात्रि की नौ रातें आध्यात्मिक दृष्टि से भरपूर होती हैं। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा से जुड़ी सभी शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं, इसलिए चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है।
ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय है। एक तरह से देखें तो चैत्र नवरात्रि की नौ रातें अंतःशुद्धि का महापर्व है। इन दिनों संयम, नियम से रहने पर हम अपने चारों तरफ शुद्ध विचारों और आध्यात्मिक शक्तियों का बहाव महसूस करते हैं। इन नवरात्रों में हर दिन मां दुर्गा अलग-अलग रूपों के साथ हमारे सामने प्रकट होती हैं और हमें उन रूपों के अनुरूप उनकी पूजा करनी होती है। नवरात्रि का पर्व देशभर में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इनका पहला दिन धर्म अध्यात्म के साथ-साथ कालगणना की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नववर्ष का पहला दिन भी होता है।
कुछ लोग इस पर बहस करते मिल जाएंगे कि शारदीय नवरात्रि ज्यादा श्रेष्ठ होते हैं या चैत्र नवरात्रि। क्योंकि दोनों ही नवरात्रियों में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है और दोनों ही नवरात्रियों में शक्ति का जागरण होता है। चैत्र नवरात्रि के पार्श्व में एक कहानी यह मौजूद है कि महिषासुर से युद्ध कौशल में पार न पाने के कारण देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया और उनसे प्रार्थना की कि वे उस आतताई को खत्म करके उन्हें राहत दिलाएं। देवताओं की प्रार्थना सुनने के बाद मां दुर्गा प्रकट हुई और उन्होंने नौ दिनों तक महिषासुर से भयंकर युद्ध किया, दसवें दिन मां दुर्गा ने इस दुष्ट राक्षस का वध कर दिया। इसलिए चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाते हैं। चैत्र नवरात्रि वास्तव में अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। लोग नौ दिनों तक मां दुर्गा के सम्मान में व्रत रखते हैं। नवें दिन रामनवमी के साथ चैत्र नवरात्रि खत्म होते हैं।
गौरतलब है कि चैत्र नवरात्रों के अंत में आने वाली रामनवमी भगवान राम का जन्मदिन है। नवरात्रों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के उपासक, उनके विभिन्न रूपों और अवतारांे की पूजा करते हैं। हर दिन के लिए उनकी एक अलग-अलग छवि निर्मित की जाती है और इस दौरान लोग मां के सम्मान में तरह तरह के अनुष्ठान करते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। नवरात्रि मनाये जाने के इस धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, मानव शरीर विज्ञान के जानकार कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान मौसम के संक्रमणकाल में होने के चलते इन दिनों लोगों को आसानी से संक्रमण हो जाता है। नवरात्रि के दौरान इसलिए उपवास रखकर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना होता है। नवरात्रि के दौरान उपवास रखने और सात्विक भोजन करने के कारण डिटॉक्स के जरिये शरीर से तमाम तामसिक तत्व बाहर चले जाते हैं, जिससे लोग स्वस्थ और सकारात्मक भावनाओं से भर जाते हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को अतीव लाभ होते हैं।
नौ दिनों के नवरात्रि से लोगों को जितना आध्यात्मिक फायदा होता है, उससे कहीं ज्यादा शारीरिक और भावनात्मक लाभ मिलते हैं, क्योंकि नौ दिनों तक उपवास रहने के कारण एक तरफ जहां शरीर स्वस्थ हो जाता है, वहीं भावनाएं भी प्रफुल्लित और तरोताजा हो जाती हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन भी होता है।
इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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